गावां प्रखंड में मनरेगा योजना में भारी गड़बड़ी बरते जाने का मामला सामने आ रहा है. प्रखंड के अमतरो में बिना कुआं बनाये बिचौलियों के द्वारा राशि निकाल लिए जाने का मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके पूर्व नीमाडीह पंचायत में भी जमीन से 10-12 फीट ऊपर व नदी में कुआं बनाकर बड़ी राशि निकालने का मामला प्रकाश में आया था. खबर प्रकाशित होने के बाद मामले की जांच कर 6.41 हजार की रिकवरी का आदेश प्रखंड ने नीमाडीह पंचायत के मुखिया, रोजगार सेवक व पंचायत सेवक को दी थी.
आदिवासियों के नाम पर कूप निर्माण की करायी स्वीकृति
वित्तीय वर्ष 2024-25 में में अमतरो पंचायत में बिचौलियों ने एक नया तरीका अपनाया है. यहां बिचौलियों ने आदिवासी बहुल गांवों ककड़ियार, कुबरी, ढिलुआ व हरदिया के भोले भाले आदिवासी महिला-पुरुषों के नाम पर पहले योजना की स्वीकृत करवायी. उसके बाद बिना कुआं का निर्माण कार्य शुरू किये ही बड़की देवी के नाम पर 50 हजार, चिंता देवी के नाम पर 58 हजार, विकास हांसदा के नाम पर 47 हजार, मंझली मरांडी के नाम पर 34 हजार, कुंती देवी के नाम पर 54 हजार, छोटकी देवी के नाम पर 61 हजार, प्रभु हांसदा के नाम पर 44 हजार, विकास हांसदा के नाम पर 47 हजार, लालो सोरेन के नाम पर 44 हजार कुल 6.41 हजार रुपये की फर्जी निकासी कर ली है. सबसे अहम बात यह है कि जिनके नाम पर निकासी की गयी है, उन्हें ना तो योजना की स्वीकृति और ना ही निकासी की जानकारी है.लाभुकों ने कहा : उन्होंने नहीं दिया आवेदन
बड़की देवी, मंझली मरांडी, लालो सोरेन की मां, टेको सोरेन, तालो मरांडी, संजीव टुडू, बड़की देवी आदि ने बताया कि ना तो उन्होंने कुआं निर्माण के लिए कोई पहल की और ना ही इसकी स्वीकृति करवायी है. उन्हें तो इस संबंध में कोई जानकारी है. यही स्थिति कानीकेंद व गरेवा गांव का भी है. सवाल उठता है कि क्या मनरेगा के पदाधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिए योजना की स्वीकृति दिलवाकर बाद में राशि की निकासी की गयी है.क्या है नियम
नियमानुसार मनरेगा योजना में स्वीकृति व कार्यादेश के बाद मस्टर रोल जमा करने पर मजदूरों व मेटेरियल के अनुपात में राशि निर्गत किया जाता है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि बगैर काम किये राशि की निकासी कैसे कर ली गयी. मनरेगा योजना को पारदर्शिता पूर्वक धरातल पर लाने के लिए मुखिया के अलावा जेई, बीपीओ, पंचायत सचिव व रोजगार सेवक आदि को जिम्मेवारी दी गयी है. लोगों का कहना है कि क्या बगैर स्थल जांच किये ही रुपयों का आवंटन मुख्यालय में बैठ कर कर दिया जाता है. इसकी वास्तविक स्थिति का आकलन तो निष्पक्षता पूर्वक जांच के बाद ही सामने आयेगा.
क्या कहते हैं उप मुखिया
अमतरो पंचायत के उपमुखिया शिबन मुर्मू ने कहा कि उनके गांव समेत पंचायत में जिन आदिवासी लाभुकों के नाम का इस्तेमाल कर कूप निर्माण की स्वीकृति दिखायी गयी है. इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है. उनकी मां और दादी के नाम पर भी निर्माण के लिए राशि निकाली गयी, जो सरासर गलत है. यह बड़ा फर्जीवाड़ा है. इसकी जांच कर उचित कार्रवाई होनी चाहिए.
कुछ कुएं की पांच फीट हुई है खुदाई : बीपीओ
इस संबंध में मनरेगा बीपीओ विनय कुमार ने कहा कि कुछ कुएं की खुदाई पांच फीट की गई है. बाकी अन्य कुआं में बरसात आ जाने के कारण काम संभवतः नहीं कराया जा सका. 15 दिनों के भीतर वे सभी कूएं के लिए जितनी राशि निकाली गयी है, उतना कार्य करवाएंगे, तभी अगला डिमांड किया जायेगा.
मामले की नहीं है जानकारी :
बीडीओ महेंद्र रविदास ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है. वे मामले की जांच करवायेंगे. जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

