झारखंड स्थापना दिवस पर आयोजित प्रभात खबर के संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने खुलकर रखीं अपनी बातें
झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर प्रभात खबर ने महिलाओं की भागीदारी और विचारों को प्रोत्साहित करते हुए महिलाओं की सरकार से अपेक्षाएं, सुरक्षा और स्वावलंबन विषय पर एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी-अपनी राय बेबाकी से रखी. सभी ने एक स्वर में कहा कि राज्य के विकास में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है और इसके लिए सरकार को जमीनी स्तर पर ठोस पहल करनी चाहिए. महिलाओं ने सरकार से यह अपेक्षा जतायी कि स्वावलंबन के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वरोजगार योजनाओं और महिला उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाये. साथ ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में हेल्पलाइन, पुलिस सहायता और फास्ट ट्रैक न्याय व्यवस्था को और मजबूत किया जाये. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार की मांग करते हुए महिलाओं ने कहा कि गांवों में मातृ स्वास्थ्य सुविधाओं और किशोरियों के पोषण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाये, ताकि हर महिला सुरक्षित और स्वस्थ रह सके. कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति जतायी कि राज्य का विकास तभी पूरा होगा जब महिलाएं सशक्त, सुरक्षित और आत्मनिर्भर होंगी. उन्होंने सरकार से उम्मीद जतायी कि झारखंड की नीतियों में महिलाओं की भागीदारी और भी मजबूत रूप में देखने को मिले.
महिलाओं ने रखे अपने विचार
हर नीति में महिला दृष्टिकोण अनिवार्य हिस्सा बने : दीपाली अग्रवालश्वेता अग्रवाल ने कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अब भी चिंताजनक है. बेटियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए. अगर सरकार गांव-गांव में छात्रवृत्ति और निःशुल्क कोचिंग जैसी योजनाओं का विस्तार करे, तो बेटियों का भविष्य संवर सकता है.
महिलाओं की सुरक्षा आज भी बड़ी चुनौती : शोभा सोनी
शोभा सोनी ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ी चुनौती है. रात में सड़क पर चलने पर कई बार असुरक्षित महसूस होता है. प्रत्येक प्रखंड में महिला पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए और महिला हेल्पलाइन को 24 घंटे सक्रिय रखने की जरूरत है. बेटियों के लिए स्कूल और कॉलेज के आस-पास विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए. महिलाओं को आत्मरक्षा के साथ करियर गाइडेंस जरूरी : शोभा कश्यपशिक्षा की क्षेत्र से जुड़ी शोभा कश्यप ने कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिला सुरक्षा और करियर गाइडेंस दोनों की जरूरत है. हमें आत्मरक्षा के साथ रोजगा के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. अगर सरकार कॉलेजों में करियर फेयर और महिला उद्यमिता शिविर आयोजित किये जायें, तो छात्राएं पढ़ाई के साथ भविष्य भी सुरक्षित कर पायेंगी.
स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत काफी कमजोर : अंकिता अग्रवाल समाजसेवा की क्षेत्र से जुड़ी अंकिता अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत काफी कमजोर है. कई बार गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने में घंटों लग जाते हैं. एएनएम और स्वास्थ्य कर्मियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने की जरूरत है. आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार समय पर मिले, ताकि बच्चे और माताएं दोनों स्वस्थ रहें. सरकारी अस्पतालों में प्रसूति वार्ड में सुधार की जरूरत : विनीता आनंदसमाजसेवी विनीता आनंद ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में प्रसूति वार्ड की स्थिति सुधार की जरूरत है. कई बार उपकरणों की कमी और स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण महिलाओं को काफी खर्च कर निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है. सरकार को जिला अस्पतालों में महिला स्वास्थ्य इकाई को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना चाहिए.
महिलाओं को अपने अधिकार की समुचित जानकारी होनी चाहिए : रुचि अग्रवाल
रुचि अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सिर्फ योजनाएं काफी नहीं हैं, उन्हें अधिकारों की जानकारी भी होनी चाहिए. सरकार को पंचायत स्तर पर कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित कर महिलाओं को घरेलू हिंसा, उत्पीड़न या भेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए जागरूक करने की जरूरत है.
पंचायत स्तर पर महिला काउंसलिंग सेंटर की जरूरत : अर्चना कश्यप
अर्चना कश्यप ने कहा कि महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है. आज तनाव और घरेलू दबाव जैसी समस्याएं आम हैं. स्कूल और पंचायत स्तर पर महिला काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने की जरूरत है, जहां महिलाएं निःसंकोच अपनी समस्याएं साझा कर सकें और मार्गदर्शन पा सकें.
स्वरोजगार योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की जरूरत : श्वेता सोनी
श्वेता सोनी ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को स्वरोजगार योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाना होगा. बैंक ऋण की प्रक्रिया सरल करने की जरूरत है, ताकि ग्रामीण महिलाएं लघु उद्योग या हस्तशिल्प के माध्यम से अपनी आजीविका चला सकें. महिला स्वयं सहायता समूहों को सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि व्यवहार में सशक्त बनाना होगा.
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