केतार. मां चतुर्भुजी मंदिर के प्रांगण में हो रहे शतचंडी महायज्ञ सह सामूहिक विवाह कार्यक्रम में वृंदावन से आयी प्रवचनकर्ता देवी प्रतिभा ने भागवत कथा के छठे दिन कहा की पति जैसा भी हो उसके भीतर शील, गुण नहीं भी हो वह वृद्ध, रोगी, निर्धन हो तब भी स्त्री का धर्म है कि वह पतिव्रता रहे. स्त्री को अपने भक्ति पर अहंकार भी नहीं होना चाहिए. अहंकार होने पर भगवान भी दूर हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की बंसी की धुन सुनकर गोपिया उनके पास आ पहुंची. वहां भगवान श्री कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य करते हैं. यहां गोपियों को अभिमान हुआ कि स्वयं भगवान हमारे साथ नृत्य कर रहे हैं. उन्होंने उनसे पंखा झलने व पानी पिलाने की बात कही. इसके बाद भगवान श्री कृष्णा थोड़े ही देर में अंतर्ध्यान हो गयें. काफी खोजने के बाद भी जब श्री कृष्ण नहीं मिले, तो गोपियां रोने लगी. इस तरह अभिमान का पश्चाताप करने पर भगवान ने तुरंत अपना दर्शन दिया और गोपियों के साथ पुनः नृत्य किया.
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