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ऐसे तो 50 साल लग जायेंगे बराज बनाने में
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को कनहर नदी पर बराज बनाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए फटकार लगायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि कनहर […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को कनहर नदी पर बराज बनाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए फटकार लगायी. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए माैखिक रूप से कहा कि कनहर नदी पर प्रस्तावित बराज के निर्माण पर सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों का ढुलमुल रवैया है. अधिकारी अक्षम हैं. घोंघे की रफ्तार से बराज निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहें हैं. यदि यही स्थिति रही, तो बराज के निर्माण में 50 साल लग जायेगा.
खंडपीठ ने कहा कि कार्य में तेजी लायी जाये आैर बराज निर्माण कार्य में आैर विलंब नहीं हो. जनहित याचिका वर्ष 2009 से चल रही है, जबकि बराज निर्माण का मामला 1974 से लंबित है.
जमीन अधिग्रहण का भी काम नहीं हो रहा है. खंडपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता महेश तिवारी ने बताया कि सीडब्ल्यूसी ने बिहार, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य को पत्र लिख कर बराज निर्माण पर आपत्ति देने को कहा था, लेकिन कोई आपत्ति नहीं आयी. आयोग ने उक्त राज्यों को रिमाइंडर भी नहीं भेजा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी पूर्व मंत्री हेमेंद्र प्रताप देहाती ने जनहित याचिका दायर कर पलामू प्रमंडल के गढ़वा में कनहर नदी पर बराज निर्माण कराने की मांग की है.
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