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44 डिग्री तापमान में झुलस रही गढ़वा

गढ़वा : 44 डिग्री तापमान में झुलस रही गढ़वा जिले के 13 लाख की आबादी बिजली की समस्या से जूझने पर विवश है़ राज्य गठन के 18 साल हो गये, लेकिन अब भी गढ़वावासी दूसरे राज्यों से मिलनेवाली बिजली के रहमोकरम पर आश्रित है़ सरकार के इस उदासीन रवैया गढ़वावासियों में खासे नाराजगी व्याप्त है़ […]

गढ़वा : 44 डिग्री तापमान में झुलस रही गढ़वा जिले के 13 लाख की आबादी बिजली की समस्या से जूझने पर विवश है़ राज्य गठन के 18 साल हो गये, लेकिन अब भी गढ़वावासी दूसरे राज्यों से मिलनेवाली बिजली के रहमोकरम पर आश्रित है़ सरकार के इस उदासीन रवैया गढ़वावासियों में खासे नाराजगी व्याप्त है़

इस झुलसा देनेवाली भीषण गर्मी में पिछले एक पखवारे से शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लोग बिजली की समस्या से बेहाल है़ वर्तमान में 10- 12 घंटा बिजली ही शहर के लोगों को जबकि 4-6 घंटे ग्रामीण इलाकों में बिजली ही मिल पा रही है. उसमें भी लो-वोल्टेज से लोग परेशान है़ं हर बार गर्मी में बिजली की समस्या विकराल होती है़ लेकिन इस ज्वलंत समस्याओं को लेकर सरकार के नुमाइंदे चुप्पी साधे रहते हैं, और आमजन हलकान होते हैं.

दूसरे राज्यों पर निर्भर है गढ़वा
झारखंड राज्य अलग बनने के बाद जो उम्मीदें लोगों में जगी थी, वह अब भी अधूरी है. राज्य गठन के 18 साल बाद भी गढ़वा जिला दूसरे राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश के भरोसे रोशन होता है. एकीकृत बिहार में रेहला में एक पावर ग्रिड बना था. वही अब भी सहारा बना हुआ है. बीते इन वर्षों में सरकार के कई नुमाइंदे यहां आये और कोरे आश्वासन देकर चलते बने. चाहे वे मंत्री रहे हो या मुख्यमंत्री सभी ने झूठे सब्जबाग दिखाये. गढ़वा को हटिया से जोड़ने की कवायद लगभग 5-6 साल से हो रही है.लेकिन अब तक नही जोड़ा जा सका है.
जरूरत है 70, मिल रही 20-25 मेगावाट
वर्तमान में गढ़वा जिले को मात्र 20-25 मेगावाट बिजली यूपी के रिहंद से मिल रहा है़ जबकि जरूरत 70 मेगावाट की़ बताते चलें कि सोननगर बिहार से 20-25 मेगावाट बिजली मिलता है, जो रेलवे के अलावा पलामू के कुछ हिस्सों में आपूर्ति की जाती है़ बिजली की कम आपूर्ति के बाद लोड शेडिंग करके जिले में बिजली की आपूर्ति की जा रही है़
पलायन कर रहे हैं गढ़वा के व्यवसायी
किसी भी व्यवसाय के लिये बिजली का निरंतर रहना खासे मायने रखता है. लेकिन यहां बिजली के मामले में बिहार था तब भी और झारखंड बना तब भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ. राज्य के गठन और गढ़वा को जिला बनने के बाद यहां व्यवसाय के क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन बिजली की लचर व्यवस्था के कारण गढ़वा के दर्जनों व्यवसायी समीपवर्ती राज्य छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर एवं बलरामपुर में जाकर शिफ्ट हो रहे हैं. और उद्योग धंधे भी वहीं लगा रहे हैं.
जरूरत के अनुसार नहीं मिल रही बिजली : एसइ
बिजली की समस्याओं के बारे में पूछे जाने पर अधीक्षण अभियंता धनंजय कुमार ने कहा कि वर्तमान में गढ़वा को 70 मेगावाट बिजली की जरूरत है. लेकिन 20- 25 मेगावाट ही मिल पा रही है़ उन्होंने कहा कि अभी गढ़वा शहर को 12-14 घंटा और नगरऊंटारी को 7-8 घंटा बिजली दी जा रही है़

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