चाकुलिया : देश में स्वच्छता अभियान की बयार बह रही है. लोगों को खुले में शौच नहीं करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. शौचालय में शौच करने की नसीहत दी जा रही है. सरकारी स्तर पर शौचालय का निर्माण हो रहा है. बेटी देंगे, उस घर में, शौचालय होगा जिस घर में और मन का मंदिर देवालय, तन का मंदिर शौचालय जैसे नारे लगाये जा रहे हैं. वहीं चाकुलिया प्रखंड की माटियाबांधी पंचायत स्थित पहाड़ों पर बसे घाघरा गांव में एक भी शौचालय नहीं है. यहां पर कोई सार्वजनिन शौचालय नहीं है. ऐसे में यहां की शत-प्रतिशत आबादी शौच के लिए जंगल और झाड़ियों पर आश्रित है.
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120 परिवार वाले घाघरा गांव में नहीं है शौचालय
चाकुलिया : देश में स्वच्छता अभियान की बयार बह रही है. लोगों को खुले में शौच नहीं करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. शौचालय में शौच करने की नसीहत दी जा रही है. सरकारी स्तर पर शौचालय का निर्माण हो रहा है. बेटी देंगे, उस घर में, शौचालय होगा जिस घर में और […]
घाघरा गांव के चार टोलों में 120 परिवार निवास करते हैं. यहां की आबादी 554 है. इनमें 302 पुरुष और 252 महिलाएं शामिल हैं. इस गांव में कोई ऐसा घर नहीं है, जिसमें शौचालय है. वहीं सार्वजनिन शौचालय भी नहीं है. लिहाजा यहां के सभी पुरुष और महिलाएं शौच करने के लिए जंगलों में जाते हैं.
गांव में पानी का घोर संकट
इस गांव में जल का घोर संकट रहता है. ग्रामीणों को पेयजल नसीब नहीं है. बाध्य होकर ग्रामीण घाघ झरना का पानी पीते हैं. स्कूल में मध्याह्न भोजन भी झरना के पानी से बनता है. गांव के चार चापानल खराब हैं. सरकारी कुंआ बेकार पड़ा है. तत्कालीन विधायक विद्युत वरण महतो की विधायक निधि से निर्मित डिप बोरिंग का पंप महीनों से खराब है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां पर चापानल सफल नहीं होता है.
शौच के लिए जंगल- झाड़ियों का सहारा लेते हैं ग्रामीण
डिप बोरिंग के पंप की मरम्मत शीघ्र होगी. गांव में शौचालय निर्माण की पहल भी होगी. यहां के बांध की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा गया है
– कुणाल षाड़ंगी, विधायक़
आंंगनबाड़ी केंद्र के शौचालय का उपयोग नहीं
यहां हाल में ही इस गांव में आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण हुआ है. केंद्र में शौचालय है. मगर पानी के अभाव में इसका प्रयोग नहीं होता है. केंद्र में पानी की व्यवस्था नहीं है.
स्कूल का शौचालय पड़ा है बेकार
यहां के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में भी शौचालय का निर्माण हुआ है. पानी के बिना इसका उपयोग नहीं होता है. शौचालय दर्शन की वस्तु बना है. स्कूल के छात्र-छात्राएं घाघ झरना के पास जंगल और झाड़ियों में शौचालय के लिए जाते हैं.
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