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स्थानीय नीति के लिए आंदोलन जरूरी

घाटशिला : घाटशिला के पावड़ा स्थित माझी परगना महाल भवन में रविवार को स्थानीय नीति पर विचार गोष्ठी की गयी. इसकी अध्यक्षता महाल के प्रखंड अध्यक्ष सह देश विचारक सचिव बहादुर सोरेन ने की. इसमें जमशेदपुर से पहुंचे कुंअर चंद्र मार्डी ने कहा कि राज्य गठन के 16 साल बाद भी स्थानीय नीति नहीं बनी […]

घाटशिला : घाटशिला के पावड़ा स्थित माझी परगना महाल भवन में रविवार को स्थानीय नीति पर विचार गोष्ठी की गयी. इसकी अध्यक्षता महाल के प्रखंड अध्यक्ष सह देश विचारक सचिव बहादुर सोरेन ने की. इसमें जमशेदपुर से पहुंचे कुंअर चंद्र मार्डी ने कहा कि राज्य गठन के 16 साल बाद भी स्थानीय नीति नहीं बनी है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह आंदोलन से झारखंड राज्य लिया गया, उसी तरह स्थानीयता नीति के लिए आंदोलन जरूरी है.
इसके लिए आदिवासी और मूलवासी को साथ मिल कर लड़ना होगा. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने स्थानीय नीति पर पहल की थी, लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें 24 घंटे में गद्दी छोड़नी पड़ी. इसके बाद किसी मुख्यमंत्री ने स्थानीय नीति पर सार्थक पहल नहीं की.
उन्होंने कहा कि विधायक अपना मानदेय और सुख सुविधा के लिए आवाज उठाते हैं. स्थानीय नीति के लिए सभी को जागरूक होकर सड़क पर उतरना पड़ेगा. जन प्रतिनिधियों से स्थानीय नीति पर सवाल पूछना होगा. श्री मार्डी ने कहा कि विचार गोष्ठी से सभी को जागरूक करना जरूरी है. विचार गोष्ठी में लोगों ने एक स्वर में कहा कि स्थानीय नीति के लिए वृहत योजना और लड़ाई लड़ने की जरूरत है.
विचार गोष्ठी में महाल के महासचिव सुधीर सोरेन, जिला उपाध्यक्ष कुनाराम मुर्मू, जिला सचिव सुफल मुर्मू, रामदास हांसदा, डॉ भोगान हेंब्रम, निर्मल नमाता, किशोरी मोहन महतो, बुद्धेश्वर मार्डी, भुजंग टुडू, करुणा कर महतो ने अपना विचार रखा. गोष्ठी में राजेंद्र महतो, मंगल मुर्मू, बिरसा किस्कू, शमशाद अली, बुढ़न मार्डी उपस्थित थे.

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