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धोरासाई गांव के एक दर्जन युवा कर गये पलायन

गालूडीह : घाटशिला प्रखंड की बनकांटी पंचायत में सुवर्णरेखा नदी तट पर बसे मछुआरों का गांव धोरासाई उपेक्षित है. यहां 35 मछुआरा परिवार रहता है. सभी की जीविका सुवर्णरेखा नदी से मछली पकड़ कर चलती है. रोजगार की तलाश में गांव करीब एक दर्जन युवा तमिलनाडु पलायन कर गये हैं. पलायन करने वालों में डुगून […]

गालूडीह : घाटशिला प्रखंड की बनकांटी पंचायत में सुवर्णरेखा नदी तट पर बसे मछुआरों का गांव धोरासाई उपेक्षित है. यहां 35 मछुआरा परिवार रहता है. सभी की जीविका सुवर्णरेखा नदी से मछली पकड़ कर चलती है. रोजगार की तलाश में गांव करीब एक दर्जन युवा तमिलनाडु पलायन कर गये हैं. पलायन करने वालों में डुगून धीबर, छोटा दिलीप धीबर, खेपा धीबर, पेटकू धीबर, शत्रुधन धीबर, हाबला धीबर, तपन धीबर, सपन धीबर, दशरथ हांसदा आदि शामिल है. पलायन करने वालों के परिवार और बच्चे गांव में हैं.

ग्राम प्रधान डुकू धीवर, रंजीत धीबर, घासीराम धीबर, खुदू धीबर, बाबला धीबर, माताल धीबर, विष्टु धीबर, गणेश धीबर, निताई धीबर, पुटू धीबर आदि ने बताया कि 35 मछुआरा परिवार में किसी के नाम पर मछुआरा आवास नहीं बना. पहले इंदिरा आवास मिला था.
इस गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. महिलाएं और बच्चे तीन किमी दूर जगन्नाथपुर आंगनबाड़ी केंद्र जाते हैं. धोरासाई में प्राथमिक विद्यालय है. यहां 32 बच्चे प्रथम से पांचवीं तक नामांकित हैं. इस स्कूल में एकमात्र पारा शिक्षिका ननिका हांसदा है. इस गांव में किसी घर में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. ग्रामीणों ने कहा कि रोजगार का मुख्य साधन नदी से मछली पकड़ कर बेचना है. इधर कुछ माह से नदी में बम विस्फोट कर मछली मारने से रोजगार पर आफत आ गयी है.
धारासाई मछुआरों का गांव है. यहां धीबर, धोरा और कैवर्त जाति के 35 परिवार रहते हैं. रोजगार का अभाव है. अधिकांश लोगों की जीविका मछली पकड़ कर चलती है. कुछ लोग मजदूरी करने पलायन कर गये हैं. मछुआरा आवास के लिए आवेदन सौंपा गया है.
– ठाकुर प्र मार्डी, मुखिया, बनकांटी पंचायत

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