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Jharkhand News: कौन हैं संजय कच्छप, जिनका पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में किया जिक्र

झारखंड के अधिकारी संजय कच्छप को खुद अपने छात्र जीवन में पुस्तकों के अभाव से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में तब उन्होंने अपने जैसे कुछ छात्रों का समूह बनाकर पुस्तक खरीदकर अपनी पढ़ायी जारी रखी और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार किया.

Jharkhand News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में रविवार को झारखंड के दुमका में कृषि उत्पादन बाजार समिति के पणन सचिव संजय कच्छप के लाइब्रेरी अभियान की सराहना की है. संजय कच्छप ने राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी सेवा के क्रम में अभावग्रस्त बच्चों-युवाओं के लिए लाइब्रेरी स्थापित करायी है और कई लाइब्रेरी को उन्होंने डिजिटल लाइब्रेरी के तौर पर भी विकसित किया है. इससे आज कई बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

लाइब्रेरी मैन की मुहिम रंग लायी

झारखंड के अधिकारी संजय कच्छप को खुद अपने छात्र जीवन में पुस्तकों के अभाव से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. ऐसे में तब उन्होंने अपने जैसे कुछ छात्रों का समूह बनाकर पुस्तक खरीदकर अपनी पढ़ायी जारी रखी और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार किया. 2004 में रेलवे में उनकी नौकरी हुई. उसके कुछ साल के बाद उन्होंने अपने गांव के सामुदायिक भवन को लाइब्रेरी में परिणत किया और छोटी सी शुरूआत की. बाद में वे झारखंड सरकार के कृषि विभाग में अधिकारी बने, तो कोल्हान क्षेत्र में अपने लाइब्रेरी अभियान को गति दी. कई लोगों ने उनका साथ भी दिया. उनके द्वारा स्थापित किये गये पुस्तकालयों से छात्र-छात्राओं को काफी सुविधायें मिलने लगीं. आज उसी लाइब्रेरी से छात्र-छात्रायें पढ़कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करके उच्च पदों तक भी पहुंच रहे हैं.

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कोरोना काल में वरदान साबित हुई लाइब्रेरी

अपनी किशोरावस्था में पुस्तकों की कमी का दर्द झेल चुके संजय ने पुस्तकालय स्थापित करने की मुहिम इसलिए शुरू की, ताकि उनकी तरह गरीब परवार के दूसरे विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने से वंचित न रहें. संजय कच्छप ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखा था, लेकिन पुस्तक नहीं खरीद पाने और मार्गदर्शन का अभाव आड़े आया. नौकरी हुई तो उन्होंने ठाना कि वे दूसरे को ऐसी कमी नहीं होने देंगे. इसके लिए वे आवश्यक प्रयास करेंगे. इसके लिए उन्होंने कार्यालय अवधि के बाद का समय, हर रविवार व छुट्टी के दिन को ऐसे बच्चों व लाइब्रेरी के लिए समर्पित किया. कोरोना काल में जब शैक्षणिक गतिवधियां प्रभावित हो गयी थीं, तब उनकी डिजिटल लाइब्रेरी ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित हुई थी.

कोल्हान के बाद दुमका में पहाड़िया छात्रों के छात्रावास से बढ़ायी मुहिम

कोल्हान में लगभग चालीस ग्रामीण पुस्तकालयों, डिजिटल पुस्तकालय स्थापित करने में अपना अहम योगदान देने वाले संजय कच्छप इसी साल अप्रैल महीने में दुमका स्थानांतरित होकर आये हैं. दुमका में आने के बाद वे करियर काउंसलिंग से लेकर एएन कॉलेज में कल्याण विभाग द्वारा संचालित पहाड़िया आदिम जनजाति वर्ग के छात्रों के लिए छोटी सी लाइब्रेरी स्थापित करा चुके हैं. संविधान दिवस पर एलआरडीसी विनय मनीष लकड़ा इसका शुभारंभ कर चुके हैं. यह अभियान जल्द ही सभी 31 छात्रावासों तक वे ले जाने वाले हैं. इसमें कई लोग उनका सहयोग कर रहे हैं.

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पीएम के संबोधन के बाद क्या बोले संजय कच्छप

लाइब्रेरी मैन कहे जानेवाले संजय कच्छप ने बताया कि उन्होंने खुद पुस्तकों के संकट को झेला था. इसलिए वे नहीं चाहते कि दूसरे को ऐसे संकट का सामना करना पड़े. चालीस से अधिक पुस्तकालयों से आज बच्चे-युवा लाभान्वित हो रहे हैं. अच्छा लगता है. उनमें से कई जॉब में भी जा चुके हैं. हमने जो प्रयास किया था, उस अभियान में मैं अकेला नहीं था. कई सहयोगी साथ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा के प्रसार के इस आंदोलन की जो प्रशंसा की है, उससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ा है. हम अपने सामाजिक दायित्व को और बेहतर ढंग से कर पायेंगे. बहुत से ऐसे लोग हैं, वर्ग हैं, जहां तक संसाधन पहुंचाने की जरूरत है. ऐसे वर्ग को हम लाइब्रेरी के माध्यम से उन्हें जागरूक कर रहे हैं. कई सरकारी अधिकारी व प्रबुद्ध लोग इस आंदोलन में साथ दे रहे हैं. प्रधानमंत्री का संदेश और लोगों को ऐसे सामाजिक दायित्व करने की प्रेरणा देगा.

रिपोर्ट : आनंद जायसवाल, दुमका

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