प्रतिनिधि,रामगढ़: वैशाख माह के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को मेष संक्रांति होती है. इस वर्ष मेष संक्रांति सोमवार, 14 अप्रैल को थी. रामगढ़ बाजार और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में विशु या बिसुआ पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया. लोगों ने मंदिरों में चने का सत्तू, गुड़, और खीरा आदि का भोग लगाया. पूर्वजों की कृपा पाने के लिए, उन्होंने जल से भरे घड़े के साथ चने का सत्तू, गुड़, अंकुरित चना, और खीरा ब्राह्मणों को दान दिया. मान्यता है कि मेष संक्रांति पर ये वस्तुएँ, विशेष रूप से जल से भरा घड़ा, ब्राह्मणों को दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं. कई स्थानों पर मंदिरों में भी घड़े का दान करने की परंपरा है. सोमवार को बिसुआ या सत्तू पर्व मनाया गया, और मंगलवार को बासी पर्व या जुड़ शीतल मनाया जाएगा. बिसुआ के अगले दिन बिहार और झारखंड में बासी पर्व मनाया जाता है, जिसे मिथिलांचल में जुड़ शीतल भी कहते हैं. इस दिन घरों में खाना नहीं बनता, और लोग पिछले दिन का बासी भोजन ग्रहण करते हैं. देवताओं को भी बासी भोजन का ही भोग लगाया जाता है.
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