दुमका : लिट्टीपाड़ा से झामुमो विधायक डा अनिल मुर्मू ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को वापस नहीं लिया गया, तो तीर क्या बम भी चलेगा. दुमका परिसदन में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि एसपीटी-सीएनटी एक्ट में संशोधन के मामले में लड़ाई आर-पार की लड़ी जायेगी. हम इसके लिए हर मंच पर जाने को तैयार हैं.
हर मंच के लोग जो विरोध कर रहे हैं, वे भी हमारे साथ आने को तैयार हैं. दोनों ही कानून झारखंडी संस्कृति व सामाजिक व्यवस्था का पर्याय है. मुख्यमंत्री रघुवर दास की तुलना रावण से की और कहा कि एसपीटी-सीएनटी एक्ट झारखंडी संस्कृति व सामाजिक व्यवस्था रूपी लक्ष्मण रेखा है, जिसे छूने का काम रघुवर दास ने किया है. उन्होंने कहा कि संशोधन से मालिकाना हक प्रभावित होगा.
विधानसभा की प्रोसिडिंग व सीडी सार्वजनिक हो : उन्होंने कहा : एसपीटी-सीएनटी एक्ट में संशोधन विधेयक के साथ-साथ अन्य विधेयक को जिस तरीके से सदन से रघुवर सरकार ने महज तीन मिनट में पारित कराने का काम किया था, वह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में शर्मनाक था. पहली बार विधायकों को रोकने के लिए सरकार ने चपरासियों को लगाया. डॉ मुर्मू ने कहा : झामुमो ने राज्यपाल को आवेदन देकर उस दिन विधानसभा की कार्रवाई की प्रोसिडिंग व वीडियो फुटेज की सीडी सार्वजनिक करने की मांग की है.
तीन महीने में बदलते हैं डीसी-डीडीसी : विधायक ने आरोप लगाया कि लिट्टीपाड़ा में सरकार वन बंधु योजना चला रही है. मुख्यमंत्री भी कई बार लिट्टीपाड़ा आये, पर उसमें लूट-खसोट के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है. तीन महीने में वहां डीसी-डीडीसी बदले जा रहे हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
इस्तीफा समस्या का समाधान नहीं : लिट्टीपाड़ा विधायक ने अपने राजनीतिक गुरु और आजसू के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा के उस आरोपों को सिरे से नकारा, जिसमें उन्होंने झामुमो को भी भाजपा के समान इन कानूनों में संशोधन के लिए दोषी बताया था. उन्होंने कहा कि आदिवासी विधायकों से इस्तीफे की मांग की जा रही है, पर इस्तीफा समस्या का समाधान नहीं है.