Dhanbad News :पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 200 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन बाघमारा प्रखंड संपूर्ण आच्छादन ग्रामीण जलापूर्ति योजना फेज-2 का कार्य फंड के अभाव में रुक गया है. इस योजना को 36 माह में पूरी करनी थी. लेकिन, 34 माह में आधा काम भी पूर्ण नहीं हुआ है. पाइपलाइन बिछाने का काम तो अब तक शुरू भी नहीं हुई है.
135 गांव में नल से जल शुरू करने की योजना
बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के 135 गांवों में जलापूर्ति किये जाने को लेकर इस योजना का शिलान्यास 4 जुलाई 2022 को गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी एवं बाघमारा के तत्कालीन विधायक ढुलू महतो ने की थी. 34 माह बीत चुका है. योजना पूरी कर सरकार को सौंपने का समय महज 2 माह ही बचे हैं. जबकि अभी तक कार्य आधा भी नहीं हो पाया है. विभाग के अभियंता के अनुसार 200 करोड़ में अभी तक मात्र लगभग 17 करोड़ का ही काम हुआ है. बाकी का काम सरकार द्वारा योजना के लिए राशि निर्गत किये जाने के बाद ही आगे बढ़ेगी. विभाग के कनीय अभियंता मोहन मंडल ने बताया कि सिविल वर्क लगभग पूर्ण हो चुका है. जबकि पाइपलाइन बिछाने का कार्य अभी बाकी है जो फंड के अभाव में नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि इसके लिए राज्य सरकार को आवेदन दिया जा चुका है. आवेदन के आलोक में राशि जल्द निर्गत होने की संभावना है.12 स्थानों पर चल रहा जलमीनार का काम
योजना से जलापूर्ति के लिए बाघमारा क्षेत्र के 12 स्थानों पर जलमीनार का कार्य लगभग पूरा होने को है. कुछ जगहों पर जल उठाने के लिए संप हाउस का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. योजना के लिए पाइप बिछ जाने से अगले वर्ष तक गांवों में जल की समस्या समाप्त हो जाती, परंतु योजना का काम रुक जाने से क्षेत्र के ग्रामिणों की उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है. इस भीषण गर्मी में महुदा क्षेत्र के लिए तेलमोच्चो ग्रामीण जलापूर्ति योजना, पाथरगड़िया ग्रामीण जलापूर्ति योजना, महुदा ग्रामीण जलापूर्ति योजना भी लगभग फेल ही समझा जाये. क्योंकि ग्रामीणों को इन योजनाओं से कभी भी नियमित पानी नहीं मिल पाया है. क्षेत्र के अधिकांश चापाकल भी खराब पड़े हैं. इनकी मरम्मत नहीं होने की वजह से ग्रामिणों की परेशानी बढ़ती जा रही है. कुआं एवं तालाबों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. आने वाले कुछ दिनों में महुदा क्षेत्र के ग्रामीणों को भीषण गर्मी में भयानक जल संकट का सामना करना पड़ेगा. कई जगहों पर जल जीवन मिशन योजना के तहत सोलर पंप से जलापूर्ति की जाती है, लेकिन वह भी नियमित नहीं हो पा रहा है.
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