यह सच है कि शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन यदि यह शराब नकली हो तो खतरे और भी बढ़ जाते हैं. यहां तक की जान भी जा सकती है. इन खतरों को और बढ़ा रहीं हैं धनबाद जिले में संचालित दर्जनों अवैध शराब की फैक्ट्रियां. धनबाद में ये फैट्रियां धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं. इनमें से कुछ फैक्ट्रियां शहर के बीचों-बीच स्थित हैं, जबकि कई अन्य पूर्वी टुंडी और टुंडी के जंगलों में चल रही हैं. अधिकांश फैक्ट्रियों में अवैध रूप से नकली विदेशी शराब बनाने का काम किया जा रहा है. इन फैक्ट्रियों के पास शराब बनाने के लिए जरूरी कैमिकल्स, रैपर और अन्य सामान उपलब्ध कराने वाले गिरोह भी सक्रिय हैं. यह गिरोह सभी जरूरी सामग्री मुहैया करवाता है और इसके बाद बनी नकली विदेशी शराब को अवैध रूप से ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है. इससे राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है.
तस्करों के अलग-अलग तरीके :
धनबाद के शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक अवैध शराब बनाने का कारोबार तेजी से फैल रहा है. इस अवैध कारोबार के प्रमुख केंद्र टुंडी, पूर्वी टुंडी, निरसा, राजगंज और तोपचांची क्षेत्र हैं. तस्कर इस काम के लिए खासतौर पर ऐसे जंगली क्षेत्रों या स्थानों का चयन करते हैं जहां अधिक भीड़-भाड़ न हो और पुलिस तथा उत्पाद विभाग के अधिकारियों को आने में परेशानी हो. इन स्थानों पर अवैध रूप से नकली शराब बनाई जाती है.गिरिडीह और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों से कराया जा रहा काम :
हाल के दिनों में उत्पाद विभाग ने कई अवैध मिनी शराब फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है. इन फैक्ट्रियों में यह बात सामने आयी कि संचालक कभी भी अपने ठिकानों पर नहीं रहते हैं. यहां अवैध शराब बनाने के लिए गिरिडीह जिले के मजदूरों और स्थानीय ग्रामीणों को काम पर रखा जाता है.बिहार बना अवैध शराब का सबसे बड़ा बाजार :
धनबाद में बनने वाली अवैध शराब अब बिहार में पहुंचने लगी है, जहां शराबबंदी के कारण वहां इसका बड़ा बाजार बन गया है. तस्कर इस शराब को बिहार भेजते हैं. यह पूरी प्रक्रिया एक सिंडिकेट के तहत काम करती है, जिसमें स्थानीय पुलिस, विभागीय अधिकारी और सीमा पर तैनात पुलिस भी शामिल होते हैं. उन्हें रिश्वत देकर तस्कर शराब की खेप बिहार के विभिन्न जिलों में पहुंचाते हैं.धनबाद में अवैध शराब की सप्लाई :
बिहार के अलावा, धनबाद के परचुनिया भी अवैध शराब के सप्लाई नेटवर्क का हिस्सा हैं. इन परचुनियों ने छोटे ढाबों और जीटी रोड पर स्थित दुकानों पर नकली शराब की बिक्री का जिम्मा संभाल रखा है. यहां मुख्य रूप से वे ग्राहक आते हैं, जिन्हें रात के समय विदेशी शराब की आवश्यकता होती है, जब सरकारी शराब की दुकानें बंद हो जाती हैं. इसके अलावा, जीटी रोड पर आने-जाने वाले बस और अन्य वाहन यात्रियों के बीच भी यह नकली शराब बिकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है