महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेएसएलपीएस द्वारा एनआरएलएम (नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन) की शुरुआत की गयी थी. जिले में इसकी शुरुआत 2016 से टुंडी व पूर्वी टुंडी प्रखंड में हुई थी. उसके बाद सभी प्रखंडों में योजना की जानकारी दी गयी. महिलाओं को समूह बनाने व उसके संचालन की जानकारी दी गयी. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं आजीविका सखी मंडल बनाकर आज आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
तीन चरणों में मिलता है फंड
योजना के तहत 10 से 15 महिलाओं का एक समूह बनता है. उन्हें जेएसएलपीएस की ओर से 30 हजार रुपये आरएफ (रिवाल्विंग फड) दिया जाता है. इस फंड का काम समूह बनाने से लेकर महिलाओं को सक्रिय करना होता है. हर माह सदस्यों की चार-पांच मीटिंग होती है. हर मीटिंग में ये दस रुपये जमा करती हैं. छह माह के बाद उन्हें जेएसएलपीएस की ओर से सीआइएफ ( कम्यूनिटी इंवेस्टमेंट फड) के तहत 50 से 75 हजार रुपया लोन दिया जाता है. उसके बाद सीसीएल (कैरा क्रेडिट लिकेंज) के तहत बैंक से लोन मिलता है.
सभी मंडल तैयार करता है उत्पाद
आजीविका सखी मंडल की सदस्य जूट बैग, मसाला, तेल, बेकरी, जेनरल स्टोर, ब्यूटी पार्लर, फिनाइल बनाने के साथ ही प्रखंड में दीदी किचन चला रही हैं. वहीं हैंडी क्राफ्ट के तहत कलात्मक वस्तुएं बना रही हैं. सबसे ज्यादा सखी मंडल बलियापुर व निरसा में चल रहे हैं. बाजार में किस उत्पाद की खपत व मांग है, इसके मार्केट सर्वे के बाद मंडल की सदस्य उत्पाद तैयार करती हैं.जल्द बनेगा पलाश मार्ट :
शैलेश रंजन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने कहा कि जेएसएलपीएस महिलाओं की आर्थिक मजबूती के लिए लगातार काम कर रहा है. सखी मंडल से जुड़कर महिलाएं बेहतर काम कर रही है. बैंक का लोन भी समय पर चुका रही हैं जिससे बैंक का भरोसा सखी मंडल पर बढ़ा है. इन महिलाओं को बहु कार्य से जोड़ने की प्लानिंग चल रही है. उनके लिए पलाश मार्ट बनाने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए उपायुक्त व नगर निगम के पास प्रपोजल भेजा गया है.जमीन के छोटे टुकड़े पर शुरू हैरी रोज नर्सरी, अब एक एकड़ में फैली
धनबाद सदर प्रखंड के मल्लिकडीह घोखरा की रहने वाली लक्ष्मी कुमारी मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं. गांव में कुछ जमीन रहने के कारण वे बहुत अधिक कुछ नहीं कर पा रही थीं. पति की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. ऐसे में उन्हें महिला समूह की जानकारी मिली. उसने मां तारा आजीविका सखी मंडल से जुड़कर नर्सरी शुरू करने की योजना बनायी. इसके लिए उन्होंने एक लाख रुपये लोन लिया. इससे उन्होंने अपने 50 डिसमिल जमीन पर नर्सरी लगायी. यह काम उन्होंने वर्ष 2022 में शुरू किया था. वर्तमान में लक्ष्मी कुमारी की नर्सरी एक एकड़ में फैली है. इसमें गुलाब, गेंदा, मधुकामिनी, जवा एवं अन्य फूल लगाये गये हैं. धनबाद के अलावा आसनसोल, गिरिडीह, बोकारो से आकर लोग फूल ले जाते हैं. इससे उन्हें प्रति वर्ष तीन लाख रुपये व उसे अधिक की आमदनी हो जाती है. लक्ष्मी ने बताया कि अब उनका परिवार खुशहाल है. पति भी काम में सहयोग करते हैं.
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