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धनबाद : सीबीआइ जांच के दायरे में कई कोल अधिकारी, जान‍िए क्‍या है मामला

मनोहर कुमार धनबाद : बीसीसीएल के ब्लॉक टू एरिया में ओवररिपोर्टिंग को लेकर सीबीआइ की जांच हफ्ते भर से जारी है. मंगलवार को भी सीबीआइ व बीसीसीएल विजिलेंस विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में जमुनिया कोल डंप सहित अन्य डंपों से पत्थर निकासी का कार्य जारी रहा. ओवर रिपोर्टिंग के इस गोरखधंधे में ब्लॉक-टू के […]

मनोहर कुमार
धनबाद : बीसीसीएल के ब्लॉक टू एरिया में ओवररिपोर्टिंग को लेकर सीबीआइ की जांच हफ्ते भर से जारी है. मंगलवार को भी सीबीआइ व बीसीसीएल विजिलेंस विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में जमुनिया कोल डंप सहित अन्य डंपों से पत्थर निकासी का कार्य जारी रहा. ओवर रिपोर्टिंग के इस गोरखधंधे में ब्लॉक-टू के पूर्व जीएम आरके सिंह, वर्तमान जीएम बीके सिन्हा सहित संबंधित एरिया के आधा दर्जन से अधिक अधिकारी जांच के दायरे में हैं.
इतना ही नहीं, मार्च में हुई वार्षिक मापी (मेजरमेंट) में शामिल कोल इंडिया व अन्य कंपनी से आये सर्वे विभाग के अधिकारी भी सीबीआइ के जांच के दायरे में हैं. इस बाबत सीबीआइ की टीम पिछले दिनों ब्लॉक टू के पूर्व जीएम और कोयला भवन के अधिकारियों के साथ-साथ मार्च में हुई वार्षिक मापी (मेजरमेंट) में शामिल कोल इंडिया व सर्वे टीम के अधिकारियों से भी पूछताछ कर चुकी है.
बीसीसीएल के ब्लॉक-टू एरिया में ओवर रिपोर्टिंग का मामला
2017-18 में हो चुका है 1300 करोड़ का नुकसान
कोयले की ओवररिपोर्टिंग के कारण बीसीसीएल को अरबों रुपये का नुकसान हो चुका है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में कोयले की खराब क्वालिटी के कारण कंपनी को करीब 1300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जानकार बताते हैं कि एरिया प्रबंधन अपनी नाकामी को छुपाने और वाहवाही के लिए कोयला की ओवर रिपोर्टिंग तो कर देता है, लेकिन जब डिस्पैच की बारी आती है, तो कोयला में ओवर बर्डेन (ओबी) व मिट्टी मिक्स कर पावर व स्टील प्लांटों को डिस्पैच करने लगता है. बाद में ग्रेड-टू ग्रेड कोयला की आपूर्ति नहीं होने के कारण पावर व स्टील कंपनियां ग्रेड के मुताबिक कटौती कर शेष राशि का भुगतान करती हैं.
कोयला कम, पत्थर ज्यादा
बरोरा : कोल शॉर्टेज मामले में बीसीसीएल के ब्लॉक-2 एरिया में मंगलवार को जांच कार्य का आठवां दिन था. सीबीआइ व विजिलेंस टीम के प्रतिनिधि की मौजूदगी में जमुनिया कोल डंप में कोल स्टॉक की जांच जारी है. फिलहाल यहां ओबी पत्थर हटाने का काम तेजी से चल रहा है. आज भी डंप में स्टॉक किये कोयला में मिले पत्थरों को पीसी मशीन से अलग करने का काम जारी रहा. डंप में कोयला कम पत्थर ज्यादा होने से अधिकारियों की क्लास ली जा रही है. जानकार बताते हैं कि जब तक कोयला से पत्थर हटाने का काम पूरा नहीं हो जाता है, जांच एजेंसी स्टॉक की मापी शुरू नहीं करेगी. गुरुवार तक कोल स्टॉक की पूरी मापी कर लिये जाने की संभावना जतायी जा रही है.
सीबीआइ के सूत्र बताते हैं कि कोलडंप में मौजूद स्टॉक में मिले पत्थरों को अलग करने में काफी समय लगेगा. ऐसा पहली बार है कि कोई जांच एजेंसी कोल स्टॉक में मिले पत्थर को पहले अलग कर रही है. उसके बाद मापी कर कोयला के असली स्टॉक का पता करेगी. सीबीआइ की कार्रवाई से स्थानीय कोल अधिकारियों के हाथ-पांव फूल रहे हैं. जांच टीम ने अधिकारियों पर कई तरह की पाबंदी भी लगा रखी है.
आज जांच कार्य का जायजा लेने सीबीआइ के पटना प्रक्षेत्र के संयुक्त निदेशक ब्लॉक-2 में आने की खबर से अधिकारी हलकान रहे. दिनभर चर्चा का बाजार गरम रहा.लोग कई तरह के कयास लगा रहे थे. संयुक्त सचिव के आने की खबर से कोल अधिकारियों की नींद उड़ गया था. घंटों संयुक्त सचिव का लोग इंतजार करते रहे.जब संयुक्त सचिव नहीं पहुंचे,तो अधिकारियों ने राहत की सांस ली.
लाखो टन शॉर्टेज से कंपनी को करोड़ों का चूना लगाये जाने की आशंका है. सूत्रों से पता चला है कि डंप में स्टॉक के अनुसार कोयला न होने की शिकायत गिरिडीह सांसद रवींद्र कुमार पांडेय ने भी मंत्रालय से की थी. इस मामले में सीबीआइ के अधिकारी कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं.
वार्षिक जांच में सर्वे टीम को क्यों नहीं मिली गड़बड़ी?
जांच के दौरान सवाल यह खड़ा हुआ कि आखिर मार्च में हुई वार्षिक मापी के दौरान कोल इंडिया सर्वे टीम कोयले के स्टॉक में हेराफेरी, उत्पादन के कागजी और वास्तविक आंकड़ों में भारी अंतर क्यों नहीं पकड़ पायी? इस कारण टीम में शामिल अधिकारियों को सीबीआइ ने पूछताछ के लिए बुलाया था. लेकिन सूत्रों की मानें तो टीम में शामिल सिर्फ दो अधिकारी उपस्थित हुए. अन्य से पूछताछ होनी बाकी है.

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