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धनबाद के पुरुषों का नसबंदी को ना, जिले में लक्ष्य था 800 और 16 लोगों ने करायी नसबंदी
मोहन गोप धनबाद : राज्य का सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला जिला धनबाद लाख कोशिश के बावजूद परिवार नियोजन लक्ष्य से कोसों दूर है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो परिवार नियोजन में लैंगिक अंतर बरकरार है. आम तौर पर पुरुष नसबंदी नहीं कराते हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 800 नसबंदी के टारगेट के […]
मोहन गोप
धनबाद : राज्य का सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाला जिला धनबाद लाख कोशिश के बावजूद परिवार नियोजन लक्ष्य से कोसों दूर है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो परिवार नियोजन में लैंगिक अंतर बरकरार है. आम तौर पर पुरुष नसबंदी नहीं कराते हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 800 नसबंदी के टारगेट के विरुद्ध मात्र 16 लोगों ने ही ऑपरेशन कराया. इसकी वजह पुरुषों में बीमार, कमजोरी आदि का भ्रम मुख्य है. वहीं 16300 बंध्याकरण के लक्ष्य के विरुद्ध 4571 ऑपरेशन ही हो पाया.
नसबंदी को लेकर भ्रम बरकरार : नसबंदी को लेकर भ्रम बरकरार है. पुरुष के साथ महिलाएं भी पति को नसबंदी कराने की सलाह नहीं देती हैं.
महिलाओं को लगता है कि पति बीमार या कमजोर हो सकते हैं. चूकि घर में कमाऊ सदस्य समान्यत: पुरुष ही होता है, इसलिए महिलाओं को लगता है कि पुरुषों को परेशानी न हो. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि कहीं पुरूष आगे नहीं आना चाहते हैं, तो कहीं महिलाएं ही रोक देती है. इसके साइड इफेक्ट को लेकर भी भ्रम है.
लाखों रुपसे खर्च, फिर भी टारगेट से दूर : परिवार नियोजन को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से 11 से 25 जुलाई 2017 तक सभी स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन पखवारा लगाया गया था. इसके प्रचार-प्रसार के लिए दो लाख रुपये खर्च किये गये. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद विभाग लक्ष्य से काफी पीछे रहा. पूरे पखवारा में दो से तीन लोग ही नसबंदी के लिए आये.
बंध्याकरण के लिए 2200, नसबंदी के लिए 1600 प्रोत्साहन राशि : परिवार नियोजन में लोगों की सहभागिता को लेकर सरकार ऑपरेशन कराने वालों को प्रोत्साहन राशि भी प्रदान कर रही है. बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को 22 सौ रुपये दिये जाते हैं. वहीं नसबंदी काने वाले पुरुष को 16 सौ रुपये दिये जाते हैं. यह राशि लाभुक के अकाउंट में दी जाती है. बंध्याकरण के लिए संबंधित प्रेरक को तीन सौ व नसबंदी के प्रेरक को दो सौ रुपये दिये जाते हैं.
परिवार नियोजन में धनबाद काफी पीछे, ओरल पिल्स की रही जबरदस्त मांग
जानें परिवार नियोजन के लक्ष्य व उपलब्धि
नाम लक्ष्य उपलब्धि
बंध्याकरण 16300 4571
बंध्याककरण (पीपी) 1700 384
नसबंदी 800 16
आइयूडी 10200 961
आइयूडी (पीपी) 700 550
निरोध 400000 95935
इमरजेंसी पिल्स शून्य 5053
इमरजेंसी पिल्स की मांग बढ़ी
एक ओर नसबंदी व बंध्याकरण के टारगेट में जिला काफी पिछड़ा हुआ है. वहीं इमरजेंसी पिल्स की भारी मांग है. 5053 पिल्स महिलाओं के बीच वितरित किये गये. इमरजेंसी पिल्स इस बार परिवार नियोजन में सरकार ने जोड़ा है. अनचाहे गर्भ को हटाने में यह पिल्स (दवा) कारगर है. इसे 72 घंटे के अंदर लेना है. इसकी मांग सभी केंद्रों में भी काफी थी.
छोटा परिवार सुखी परिवार होता है. इसकी जिम्मेदारी दोनों की है. कुछ भ्रम के कारण लोग नसबंदी के लिए नहीं आ पाते हैं. इसलिए विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है. और बेहतरी की कोशिश होगी.
डॉ ए एक्का, सीएस, धनबाद
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