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भूमंडलीकरण और उदारीकरण के दौर में मानवाधिकारों का बढ़ा है दायरा : धनंजय

मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अधिवक्ता धनंजय प्रसाद ने संगोष्ठी में कहा कि मौजूदा समय में मानवाधिकार निर्विवाद रूप से एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है. मानव के अस्तित्व को कायम रखने व व्यक्तित्व के विकास के लिए मानवाधिकार बेहद जरूरी है. मानवाधिकार वो अधिकार है, जो प्रत्येक मानव को मिलना ही चाहिए. इसके बगैर मानव का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है. वैसे तो मानवाधिकार की अवधारणा सत्ता के स्वेच्छाचारी इस्तेमाल को रोकने के उपकरण के रूप में विकसित हुआ था. आज नागरिक व राजनीतिक अधिकारों के साथ आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों को भी महत्व दिया जा रहा है. भूमंडलीकरण व उदारीकरण के दौर में मानवाधिकार का दायरा बढ़ा है. आज ये व्यापार व सेवा के साथ जोड़कर देखा जाने लगा है. सरकारी एजेंसी के अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनी, दलाल, बिचौलिया, माफिया, कट्टरपंथी, आपराधिक समूह, परंपरावाली अनुशासनहीन हठधर्मियों द्वारा सबसे ज्यादा मानवाधिकार का हनन किया जाता रहा है. 10 दिसंबर 1948 को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन हुआ था, इसलिए इस दिन मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. इस अवसर अन्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किये. हाइलाइर्ट्स : मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

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