संवाददाता, देवघर : भाद्र मास की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज पर्व का आयोजन विशेष महत्व रखता है. पतियों की दीर्घायु और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए सुहागिन महिलाएं इस व्रत को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करती हैं. सोमवार को नहाय-खाय के साथ इस पर्व की शुरुआत हो रही है. परंपरा के अनुसार, महिलाएं सुबह स्नान कर नियमपूर्वक रसोई को साफ करती हैं और शुद्धता का ध्यान रखते हुए अरवा भोजन तैयार करती हैं. इसके बाद हरितालिका भगवान को भोग अर्पित कर स्वयं प्रसाद रूपी भोजन ग्रहण करती हैं. मंगलवार को तीज व्रत का मुख्य दिन होगा. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत का संकल्प लेकर दिनभर जल और अन्न का त्याग करती हैं. पौराणिक मान्यता है कि इस कठोर तपस्या के माध्यम से देवी पार्वती की तरह अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और पति के जीवन में दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार कर बाबा बैद्यनाथ मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में जाकर गौरी-शंकर की पूजा-अर्चना करेंगी. पूजा के दौरान हरितालिका कथा का श्रवण भी विशेष महत्व रखता है. बाबा मंदिर इस्टेट के पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि तीज व्रत के पीछे गहरी आस्था और परंपरा जुड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि यदि कोई महिला निर्जला व्रत का पालन करने में असमर्थ है, तो वह शरबत, फल अथवा दवाई का सेवन कर सकती है. इसमें कोई पाप नहीं है, क्योंकि व्रत का मूल उद्देश्य श्रद्धा और आत्मबल है, न कि स्वयं को कष्ट पहुंचाना. बुधवार को व्रत का पारण किया जायेगा. महिलाएं पूजा-अर्चना के बाद व्रत का समापन कर फलाहार अथवा पारंपरिक भोजन ग्रहण करती हैं. पारण के साथ ही तीज व्रत का निस्तार होता है. शहर में तीज व्रत की तैयारी जोरों पर है. मंदिरों में भीड़ बढ़ने लगी है.
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