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बाबाधाम डेवलपर्स के कब्जे में डाबर ग्राम की जमीन!

डाबर ग्राम. मामला कोर्ट में, फिर भी बदला स्वरूप, प्रशासन बेखबर देवघर : बहुचर्चित डाबर ग्राम की जमीन का मामला काेर्ट में विचाराधीन है, इसके बावजूद जमीन के स्वरूप में छेड़छाड़ हो रहा है और देवघर जिला प्रशासन बेखबर है. उक्त विवादित जमीन, जिस पर कभी डाबर इंडिया लिमिटेड की फैक्टरी का संचालन हो रहा […]

डाबर ग्राम. मामला कोर्ट में, फिर भी बदला स्वरूप, प्रशासन बेखबर

देवघर : बहुचर्चित डाबर ग्राम की जमीन का मामला काेर्ट में विचाराधीन है, इसके बावजूद जमीन के स्वरूप में छेड़छाड़ हो रहा है और देवघर जिला प्रशासन बेखबर है. उक्त विवादित जमीन, जिस पर कभी डाबर इंडिया लिमिटेड की फैक्टरी का संचालन हो रहा था, अब वह बाबाधाम डेवलपर्स के कब्जे में है. जबकि जिला प्रशासन ने ही डाबर ग्राम की उक्त जमीन को सरकारी संपत्ति घोषित करने के लिए देवघर सिविल कोर्ट में सूट दायर कर रखा है.
लेकिन नौ माह पहले अचानक श्रावणी मेले में फोर्स को ठहराने के नाम पर सुनियोजित तरीके से साफ-सफाई करायी गयी. यही नहीं इसी दरम्यान डाबर इंडिया लिमिटेड के बोर्ड की जगह बाबाधाम डेवलपर्स का बोर्ड भी लगा दिया गया. यह सब किसकी अनुमति से हुआ ? पता नहीं . लेकिन इसे प्रशासन ने भी गंभीरता से नहीं लिया. यह टाइटल सूट तत्कालीन डीसी अमीत कुमार के आदेश पर अप्रैल-2015 में ही दायर किया गया था. जिसे कोर्ट ने 12 जनवरी-2016 को एडमिट किया और वर्तमान में यह मामला कोर्ट के विचाराधीन है. फिर भी डाबर ग्राम की जमीन का स्वरूप बदलने के मामले में जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. इससे तरह-तरह की चर्चा का बाजार गर्म है.
प्रशासन का पक्ष मजबूत है : डीसी
डाबर ग्राम जमीन के मामले में डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि काेर्ट में दाखिल टाइटल सूट में प्रशासन का पक्ष मजबूत है. गत दिनों प्रतिवादी का पिटिशन काेर्ट द्वारा खारिज किये जाने के बाद प्रशासन का पक्ष और भी मजबूत हुआ है. प्रतिवादी द्वारा डाबर ग्राम की जमीन पर बाेर्ड लगाकर केस को प्रभावित करने का प्रयास किया गया तो निश्चित रुप से प्रशासन कोर्ट को इसकी सूचना देगा व कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करेगी. जिस प्रकार हिल व्यू में जमीन की प्लॉटिंग की सूचना मिली तो प्रशासन द्वारा बोर्ड लगाकर कार्य रोका गया, उसी प्रकार डाबर ग्राम की जमीन पर कोई प्लाॅटिंग समेत जमीन की स्वरुप के साथ अन्य छेड़छाड़ किया गया तो कोर्ट में प्रतिवादी के खिलाफ आपत्ति कर कार्य बंद कराया जायेगा. फिलहाल इस जमीन की कोई भी रजिस्ट्री या अन्य राजस्व को प्रशासन स्वीकार नहीं करेगी. प्रशासन इस जमीन को सरकार के पक्ष में करने के लिए कानूनी लड़ाई लंबे स्तर तक लड़ेगी. टाइटल सूट में जीतने के बाद पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत जमीन पर कब्जा किया जायेगा.
तत्कालीन डीसी अमित कुमार के आदेश से 27 अप्रैल-2015 को ही दायर हुआ था सूट
श्रावणी मेला 2016 के दौरान लग गया बाबाधाम डेवलपर्स का बोर्ड
श्रावणी मेले में पुलिस छावनी के लिए हुआ था जमीन का उपयोग
कुल 12.73 एकड़ जमीन की सूट वैल्यू 4.3 करोड़
मौजा चांदपुर व मौजा धौनी के रैयतों की जमीन डाबर इंडिया की फैक्टरी के लिए हुआ था अधिग्रहण
12.73 एकड़ जमीन का है मामला
जसीडीह थाना के डाबरग्राम स्थित डाबर इंडिया प्रालि कि विवादित कीमती जमीन की बिक्री को लेकर टाइटल सूट दायर हुआ है. इसका कुल रकवा 12.73 एकड़ है. जमीन के एक हिस्से में फैक्टरी व दूसरे हिस्से में आवास बनाया गया था. यह जमीन तत्कालीन एसडीओ ने भू-अर्जन के माध्यम से कंपनी को मुहैया कराया था. संताल परगना रेग्युलेशन एक्ट 1886 के तहत रोहिणी घटवाल ने तत्कालीन एसडीओ के समक्ष जमीन अधिग्रहण के लिए आवेदन दिया था. आवास व कारखाना के लिए रैयतों से जमीन एलए केस नंबर 3/43-44 व एलए केस नंबर 24/44-45 के माध्यम से ली गयी थी. कई दशकों तक डाबर इंडिया लिमिटेड की फैक्टरी चलती रही और उत्पादन हुआ. विगत कई वर्षों से कारखाना बंद कर दिया गया और जमीन बेचने की प्रक्रिया की गयी. कुछ अंश को सेल डीड के माध्यम से बेच भी दिया गया. साथ ही जमीन को बेचने का एग्रीमेंट भी कर दिया गया. जमीन का वैल्यू टाइटल सूट में 4.3 करोड़ आंकी गयी है.
रैयतों ने भी दाखिल किया
दावा पीटीशन
डाबर ग्राम में डाबर इंडिया लिमिटेड के कारखाने के लिए 12.73 एकड़ रैयती जमीन का अधिग्रहण किया गया था. उक्त जमीन मौजा चांदपुर व मौजा धौनी के रैयतों की जमीन थी. विगत कई वर्षों से डाबर फैक्टरी बंद हो गयी है. अब उक्त जमीन को बेचे जाने की साजिश हो रही है. इसी के खिलाफ डाबरग्राम के रैयतों ने जमीन वापसी का दावा पीटीशन सिविल कोर्ट में दाखिल किया है. ग्रामीणों का कहना है कि उक्त जमीन पर डीसी का आदेश भी अंकित था, जिसमें लिखा था कि डाबर ग्राम की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक है. लेकिन उसे भी मिटा दिया गया है और डाबर के बोर्ड की जगह बाबाधाम डेवलपर्स का बोर्ड लग गया है. रैयतों का कहना है कि यदि फैक्टरी नहीं चली तो अब उनकी जमीन उन्हें कानूनन वापस मिलनी चाहिए.
टाइटल सूट में प्रशासन ने इन्हें बनाया है प्रतिवादी
मेसर्स डाबर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के रमेश बर्मन, ग्रेटर कैलाश, नयी दिल्ली
निर्भय शाहबादी, गांव मकतपुर, जिला गिरिडीह, झारखंड
महेश कुमार लाट, कास्टर टाउन, देवघर
नवीन आनंद, गांव बाराचक, गिरिडीह

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