देवघर: देवघर डीडीसी शशिरंजन प्रसाद सिंह अपने दैनिक कार्यो में राजनीतिक दबाव महसूस कर रहे हैं. प्रशासनिक कार्य के बोझ तले दबे डीडीसी कई प्रखंडों में योजनाओं के निष्पादन या अनुशासन बनाये रखने में परेशान हैं.
जिले में विकास कार्य को गति देने में ये राजनीतिक दबाव को रोड़ा मान रहे हैं. ये मानसिक रूप से इतने परेशान हैं कि इनकी परेशानी सरकारी पत्र में भी झलकती है. यही कारण है कि सरकारी आदेश जारी करते वक्त दल के नाम से टिप्पणी भी कर देते हैं. अभी हाल ही रांची में ग्रामीण विकास विभाग की बैठक में मंत्री ददई दुबे के समक्ष निर्थक हस्तक्षेप व अपनी सूरक्षा का मसला उठाया था . साथ ही मोहनपुर प्रखंड का विशेष जिक्र करते हुए कहा था कि वहां राजनीतिक खींच तान का अखाड़ा है .
दरअसल, पिछले 21 जून 2013 को पत्रंक 243 के तहत डीडीसी ने जोगिया टिकुर(डकाय पंचायत) सारवां में ग्राम सभा में जल सहिया के चयन के मामले में जिला परिषद के उपाध्यक्ष को पत्र लिखा. पत्र में जल सहिया चयन में गड़बड़ी के बारे में जिक्र किया गया जिसमें ग्रामसभा ने मुखिया को अधिकृत कर दिया कि जल सहिया चयन में अंतिम निर्णय मुखिया जी लेंगे.
इस प्रस्ताव की शैली को डीडीसी ने नियम विरुद्ध माना. उन्होंने इस प्रस्ताव पर खारिज करते हुए बाजाप्ता लिख दिया कि पंचायतीराज में इस तरह का प्रस्ताव नहीं लिया जाता है.‘ ऐसा प्रस्ताव तो कांग्रेस पार्टी में पास होता है.‘ अब डीडीसी ने कांग्रेस पार्टी का जिक्र करके पार्टी पर व्यंग्य किया है या इसके पीछे उनकी मंशा कुछ और है वे ही जानें. लेकिन पत्र में कांग्रेस का जिक्र होने से जिले के कांग्रेसी खासे नाराज हैं. कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इस मसले को गंभीरता से ले रहे हैं और आलाकमान से ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.