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बाहर भटकते हैं कुपोषित बच्चे

देवघर : शुक्रवार की शाम करीब सवा पांच बज रहे थे. कुपोषण उपचार केंद्र के गेट के बाहर एक बच्चा खेल रहा था. इस बच्चे को एमटी सेंटर में इलाज के लिए भरती कराया गया था तथा इसके आसपास कोई नहीं था. इस दृश्य से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुपोषण उपचार केंद्र […]

देवघर : शुक्रवार की शाम करीब सवा पांच बज रहे थे. कुपोषण उपचार केंद्र के गेट के बाहर एक बच्चा खेल रहा था. इस बच्चे को एमटी सेंटर में इलाज के लिए भरती कराया गया था तथा इसके आसपास कोई नहीं था. इस दृश्य से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुपोषण उपचार केंद्र में इलाज के लिए भरती बच्चे की देखभाल कितनी गंभीरता से की जाती है.

इस दौरान बच्चा खेलते-खेलते बाहर निकल गया. वह बाहर में गंदगी में बैठ कर खेलने लगा. इस दौरान न ही उसकी मां नजर आयी और न ही वहां कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी ही दिखे. यह स्थिति तब है जब कुव्यवस्था को लेकर विभाग की ओर से एमटी सेंटर की प्रभारी सहित कर्मियों को स्पष्टीकरण पूछा गया है.

धूल व गंदगी से बच्चे को हो सकती है परेशानी: बच्चे तो नटखट होते हैं. एमटी सेंटर में भरती बच्चों की निगरानी की जवाबदेही उसकी मां की रहती है. अगर उसकी मां द्वारा लापरवाही बरती जाती हो तो वहां कार्यरत कर्मी को भी निगरानी रखने की जरूरत है. बच्चा तो बच्चा होता है. ऐसे में वह धूल व गंदगी में रहेगा तो कुपोषित बच्चे के स्वस्थ होने में कठिनाई होगी.

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