प्रतापपुर. प्रखंड में चल रही मनरेगा योजनाओं में भारी अनियमितताएं बरती जा रही है. यहां बगैर कार्य किये ही फर्जी मजदूरों की सूची बनाकर राशि की निकासी का मामला सामने आया है. स्थिति यह है कि योजना स्थल पर शिलापट्ट तक नहीं है. मजदूरों को मिलनेवाली दवा, टेंट, पानी समेत अन्य सुविधाएं भी नदारद हैं. बताया जाता है कि बिचौलियों की ओर से घर बैठे सगे-संबंधियों को डिमांड कराया जा रहा है. प्रतापपुर पंचायत के मंजराही गांव में डोभा व तालाब की खुदाई जेसीबी से करायी गयी थी. बाद में उसे मजदूरों से ड्रेसिंग कर सीढ़ीनुमा बनाया गया है. वर्तमान में तालाब व डोभा में मजदूरों को डिमांड किया गया है, लेकिन स्थल पर एक भी मजदूर कार्य नही कर रहे हैं. स्थल पर कोई सुविधा भी नहीं है. बताया जाता है कि डिमांड कर बिचौलिए सरकारी राशि का बंदरबांट कर रहे हैं. जिन मजदूरों का डिमांड किया गया है, वे अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार डिमांड करने के नाम पर कंप्यूटर ऑपरेटर की ओर से भी मोटी रकम लेने की बात सामने आयी है. डिमांड फॉर्म पर मुखिया का फर्जी हस्ताक्षर भी हो जाते हैं. मालूम हो की प्रखंड के कई महिला जनप्रतिनिधि का हस्ताक्षर पुत्र व पति फर्जी तरीके से कर देते हैं. कुछ दिन पूर्व चंद्री गोविंदपुर की मुखिया कंचन कुमारी ने फर्जी हस्ताक्षर को लेकर प्रतापपुर थाना में आवेदन दिया था.
प्रखंड में नहीं रहते हैं मनरेगा ऑपरेटर: प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में संचालित मनरेगा योजनाओं का लॉगइन, डिमांड व अन्य कार्य के लिए चार ऑपरेटर हैं. चारों मनरेगा ऑपरेटर प्रखंड कार्यालय से गायब रहते हैं. कोई ऑपरेटर अपने आवास, तो कोई चतरा में रह कर कार्य करते हैं. मनरेगा लाभुक अपने योजना को डिमांड करने व अन्य कार्य करने के लिए प्रतिदिन प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटते हैं. ऑपरेटर के रवैये से लाभुक काफी परेशान हैं. हालांकि कई बार शिकायत वरीय पदाधिकारियों से की गयी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ.
अभिषेक पांडेय, बीडीओ, प्रतापपुर
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