लावालौंग प्रखंड के कई गांवों में पक्की सड़क नहीं, ग्रामीण परेशान लावालौंग. सरकार और प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही का खामियाजा अक्सर लोगों को भुगतना पड़ता है. लोग आवाज उठाते हैं, लेकिन उनकी मांग धरी की धरी रह जाती है. जब कोई हादसा या बड़ी दुर्घटना होती है, तो प्रशासन की नींद खुलती है और लीपापोती के नाम पर कार्रवाई शुरू हो जाती है, लेकिन स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं होता. ऐसे में जनता की समस्याएं बरकरार रहती है और वे अपने को ठगा महसूस करती है. कुछ इसी तरह हाल लावालौंड प्रखंड का है. प्रखंड के कई गांवों में आने-जाने के लिए आज तक सड़क नहीं बनी है. लोग आज भी कच्ची व पथरीली रास्ते से रोजाना आना-जाना करते हैं. इन गांवों में वाहन नहीं पहुंच पाते. बताया जा रहा है कि वन्य प्राणी अश्रायणी क्षेत्र होने के कारण सड़क नहीं बन रही है. सड़कों के अभाव में सबसे अधिक परेशानी बीमार व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के दौरान होती है. कुछ ऐसा ही मामला गुुरुवार को सामने आया. प्रखंड के होसिर गांव की एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई. महिला को अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी हुई. परिजनों ने कपड़े की एक डोली तैयार की, फिर डोली के सहारे महिला को एक किमी की दूरी तय कर सड़क तक पहुंचाया. इसके बाद उसे ममता वाहन से लावालौंग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहां प्रसव के बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन नवजात की मौत हो गयी. परिजनों का कहना है कि अगर गांव तक सड़क होती और अच्छी सड़क होती, तो महिला सही समय पर अस्पताल पहुंच पाती और बच्चे की जान नहीं जाती. लोगों ने गांव तक सड़क निर्माण कराने की मांग करते हुए उपायुक्त से पहल करने की मांग की है.
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