कुंदा : गांव की सरकार बनने के बाद गांवों के विकास को लेकर लोगों को काफी उम्मीद जगी थी, लेकिन पंचायत चुनाव के नौ वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रखंड के आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां आने-जाने के लिए सड़क नहीं हैं. लोग पगडंडियों के सहारे आवागमन करते हैं. नवादा पंचायत के कई गांव में बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है.
उक्त गांव जंगल, पहाड़ व नदी के किनारे बसे हैं. यहां अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. शाम ढलते ही गांवों में सन्नाटा पसर जाता हैं. रात में जंगली जानवरों की आवाज गूंजने लगती है. इस पंचायत के लोग सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सुविधा से वंचित हैं. नवादा पंचायत के सिंदुरिया, उलवार, रेंगनियातरी, बाचकुम व बोधाडीह पंचायत के हारुल,चितवातरी, करील गड़वा, कमाल गांव के लोगों के लिए पक्की सड़क सपना सा है.
गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण लोगों को परेशानी होती है. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती हैं. जब उनकी तबीयत बिगड़ती हैं तो लोग डोली या खटोली कर मुख्य पथ तक लाते हैं. गांवों में ममता वाहन भी नहीं पहुंचता है. कई बार प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो चुकी है. बरसात के दिनों में सबसे अधिक परेशानी होती हैं.
इन गांवों में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं
प्रखंड के अखरा, मोहनपुर ,बरमा, करील गड़वा, हारुल, बाचकुम, चितवातरी, दारी, उलवार, रेंगनियातरी, खुटबलिया, अम्बादोहर, रतनाग, पिंजा, लावालौंग, बण्ठा, हेसातु, कामत, बलही, फुलवरिया, लकड़मना, बारहमना ,गारो, कारिमंड़र ,कोजरम, बटुकुईया, कमाल, बिशनपुर, दुर्गी, लालिमाटी, कोड़हास समेत कई गांवों में पक्की सड़क नहीं हैं.