चाईबासा.
टाटा कॉलेज, चाईबासा में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर बुधवार को जागरुकता कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एससी दास के संबोधन से हुई. उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल उतनी ही जरूरी है, जितनी कि शारीरिक स्वास्थ्य की. कठिन परिस्थितियों में संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए, न कि हार माननी चाहिए. मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. धर्मेंद्र रजक (असिस्टेंट प्रोफेसर, साइकोलॉजी विभाग, कोल्हान विश्वविद्यालय) ने कहा कि जीवन अनमोल है, इसे समाप्त करना समाधान नहीं है. उन्होंने बताया कि आत्महत्या से पहले व्यक्ति के व्यवहार में कई बदलाव देखे जा सकते हैं जैसे नींद न आना, भूख कम लगना, अवसाद, चिड़चिड़ापन और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना. ऐसे लक्षणों को समय रहते पहचानकर जान बचायी जा सकती है. डॉ. विशाल दीप (मनोविज्ञान विभाग) ने कहा कि आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन जाुकता के माध्यम से इन्हें रोका जा सकता है. डॉ. नित्यानंद साह ने कहा कि आत्महत्या केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे परिवार, समाज और राष्ट्र पर पड़ता है. इस अवसर पर बिनीत कुमार ने विद्यार्थियों को अजीम प्रेमजी स्कॉलरशिप के बारे में जानकारी दी. कार्यशाला में 100 से अधिक छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही. कार्यक्रम का उद्देश्य आत्महत्या जैसे संवेदनशील विषय पर संवाद, समझ और सहयोग के माध्यम से रोकथाम के उपायों को बढ़ावा देना था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

