चाईबासा.
भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ा जाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री हेमंत कुमार केसरी ने कहा है कि पश्चिम सिंहभूम जिले में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था से लोग परेशान हैं. जिले में 15 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, 342 सब सेन्टर व 18 प्राइमरी हेल्थ सेंटर होने के बावजूद स्वास्थ्य की सुविधाएं नगण्य हैं. चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल और चाईबासा में सदर अस्पताल के भरोसे मरीज हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं हैं. मरीजों को सदर अस्पताल भेज दिया जाता है. जिले में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गरीबों को पैसे खर्च करने पड़ते हैं. उन्हें वाहनों का किराया देकर चाईबासा या चक्रधरपुर आना पड़ता है.108 एम्बुलेंस सेवा दम तोड़ रही
रघुवर सरकार में शुरू मुफ्त 108 एम्बुलेंस सेवा दम तोड़ रही है. सदर अस्पताल की 12 से 15 एम्बुलेंस खराब हैं. एक एम्बुलेंस तकरीबन 15 से 20 लाख रुपये में खरीदी गयी ती, जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयीं. इनके रख रखाव को मिली राशि की बंदरबांट हो गयी. स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ बयान दे रहे हैं. अनिवार्य सेवा बंद करने से स्थिति खराब हुईरघुवर सरकार में मेडिकल कालेजों में पीजी करने वाले डॉक्टरों को 02 वर्ष सरकारी अस्पतालों में सेवा अनिवार्य किया गया था. इस कारण सदर अस्पताल में अनेक कुशल डॉक्टर पदस्थापित रहे थे. मरीजों को लाभ मिलता था. वर्ष 2019 में हेमंत सरकार ने अनिवार्य सेवा बंद कर दिया. स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों के अभाव में लकवाग्रस्त हो गया.
केंद्र से मिल रही राशि के भरोसे स्वास्थ्य सेवा
डीएमएफटी फंड से बहाल हुए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को यह सरकार संभाल नहीं पायी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से कई करोड़ रुपये केंद्र सरकार हर माह जिले को देती है, जिसके भरोसे पूरा जिला का स्वास्थ्य सेवा टिकी है. जनता सब देख रही है. उचित समय आने पर जवाब देगी. सरकार को आदिवासी बहुल क्षेत्र की चिंता नहीं है. ये आदिवासी जनता को गुमराह कर वोट बटोरना ही जानते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

