चाईबासा.
अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 40वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा पर बुधवार को लूथेरन उच्च विद्यालय चाईबासा में जागरुकता कार्यक्रम किया गया. इसका विषय नेत्रदान का महत्व लोगों को बताना रहा. कार्यक्रम में सदर अस्पताल चाईबासा के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सिरिल संदीप सावैयां ने नेत्रदान के महत्व पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि नेत्रदान का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. आंखों पर पुनर्जन्म में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. आंखें दान करने से मरा हुआ व्यक्ति के चेहरे में कोई विकृति नहीं होती है.नेत्र पदाधिकारी डॉ मनोज सिंह मुंडा ने कहा कि नेत्रदान का संकल्प लेकर नेत्रदान बंधक पत्र भरना चाहिए, ताकि मरणोपरांत दूसरे की आंखों से प्रकृति के अनमोल दृश्यों को देख सकें. लूथेरन उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका आनंदिनी सफिरा गुड़िया ने कहा कि सभी स्वस्थ व्यक्ति को नेत्रदान की प्रतिज्ञा करते हुए जीते जी नेत्रदान बंधक पत्र भरना चाहिए, ताकि अंधे व्यक्तियों को रोशनी मिल सके. कार्यक्रम में मेरी करुणा टोप्पो, सुनीता जॉर्ज, अनीता भूमिज व लूथेरन मध्य विद्यालय की प्रधानाध्यापिका इस्टर आईंद, सहायक शिक्षक सूरज कुमार ठाकुर और उच्च व मवि के छात्र मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

