Bokaro News : बोकारो जिला के पानी में नाइट्रेट व फ्लोराइड की सांद्रता तय सीमा से अधिक है. जिला के अलग-अलग स्थानों से जल के संग्रहित नमूने की प्रयोगशाला में जांच के बाद यह खुलासा किया गया है. जिला में जल गुणवत्ता की जांच को लेकर सीजीडब्ल्यूबी एसयूओ (केंद्रीय भूजल बोर्ड)- रांची की ओर से नमूना संग्रह किया गया था. सीजीडब्ल्यूबी एसयूओ-रांची की ओर से 16 से 30 अप्रैल के बीच केंद्रीय भूजल बोर्ड, मध्य-पूर्वी क्षेत्र, पटना की क्षेत्रीय रासायनिक प्रयोगशाला में नमूनों का विश्लेषण किया गया. यह नमूना मानसून के बाद नेटवर्क हाइड्रोग्राफ स्टेशन से एकत्र किये गये थे.
जांच में पाया गया कि बोकारो जिला से संग्रह नमूनों में नाइट्रेट सांद्रता अनुमेय सीमा (45 mg/L) से अधिक है. वहीं, बीआइएस 2012 के अनुसार संग्रह नमूनों में फ्लोराइड की सांद्रता 1.5 मिलीग्राम/लीटर की अनुमेय सीमा से अधिक पायी गयी है. सीजीडब्ल्यूबी एसयूओ- रांची के अनुसार जल से नाइट्रेट को कच्चे जल के स्रोत प्रतिस्थापन, कम नाइट्रेट वाले जल के साथ सम्मिश्रण, अधिशोषण- आयन विनिमय, रिवर्स ऑस्मोसिस आदि विधियों का उपयोग करके हटाया जा सकता है. वहीं फ्लोराइड उपचार के लिए अधिशोषण, आयन विनिमय, आयन विनिमय रेजिन आदि विधियों को अपनाने का सुझाव सीजीडब्ल्यूबी एसयूओ- रांची ने दिया है.स्वास्थ्य के लिए हानिकारक :
पानी में नाइट्रेट व फ्लोराइड की अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. नाइट्रेट की अधिकता से नवजात शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम नामक स्थिति हो सकती है, जिससे नवजात शिशु का शरीर नीला पड़ जाता है. फ्लोराइड की अधिकता से दंत फ्लोरोसिस व कंकाल फ्लोरोसिस हो सकता है, जिससे दांतों में धब्बे पड़ सकते हैं. हड्डियां कमजोर हो सकती है. पानी में अधिक मात्रा में नाइट्रेट होने से पेट, आंत, और किडनी के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. फ्लोराइड के अत्यधिक सेवन से हड्डियों की वृद्धि में समस्या हो सकती है, जिससे हड्डियों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है. फ्लोराइड की अधिकता से कुछ लोगों में थायरॉयड, न्यूरोलॉजिकल व ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है