बोकारो, बोकारो इस्पात संयंत्र लोक उपक्रम के क्षेत्र में भारत का चौथा एकीकृत इस्पात संयंत्र है, जिसे देश के प्रथम स्वदेशी इस्पात संयंत्र होने का गौरव प्राप्त है. इसका निर्माण अधिकतम स्वदेशी उपकरणों, सामग्री और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ किया गया था. 1964 में जब इस संयंत्र की नींव रखी गयी, तब से ही इसने ना केवल औद्योगिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में भी नयी शुरुआत की. यह कहना है बीएसएल प्रबंधन का. सोमवार को बीएसएल प्रबंधन ने एक बयान जारी किया. इसमें उसने विभिन्न मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी है.
प्रबंधन ने कहा है कि बीएसएल केवल एक उद्योग नहीं, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व है, जिसने लाखों परिवारों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. यह संयंत्र भारत सरकार की नीतियों के अंतर्गत संचालित होता है और देश की जनता के प्रति जवाबदेह है. इसलिये यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम इस संयंत्र को राष्ट्र संपत्ति के रूप में देखें और इसकी सुरक्षा व उन्नति में अपना सक्रिय योगदान दें.मुख्यतः वनाच्छादित व कृषि-आधारित ग्रामीण बस्तियों से युक्त था क्षेत्र
संयंत्र की स्थापना से पूर्व यह क्षेत्र मुख्यतः वनाच्छादित व कृषि-आधारित ग्रामीण बस्तियों से युक्त था, जहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि व पारंपरिक आजीविका पर निर्भर थी. लौह अयस्क, कोयला व अन्य खनिज संसाधनों की प्रचुरता और सामरिक दृष्टिकोण से इसकी अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण इस क्षेत्र का चयन एकीकृत इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिये किया गया.विभिन्न ग्रेड के फ्लैट स्टील उत्पादों का निर्माण करता है बीएसएल
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना ने ना केवल इस क्षेत्र में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचनाओं का अभूतपूर्व विकास सुनिश्चित किया, बल्कि परिधीय क्षेत्रों के समग्र उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे स्थानीय निवासियों को भी राष्ट्र की विकास यात्रा में सक्रिय भागीदारी का अवसर प्राप्त हुआ. आज बोकारो इस्पात संयंत्र विभिन्न ग्रेड के फ्लैट स्टील उत्पादों का निर्माण करता है. बीएसएल प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को आजीविका प्रदान कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बीएसएल ने अब तक अनगिनत कर्मचारियों और उनके परिवारों के साथ-साथ यहां निवास कर रहे लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभायी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह सतत अवसरों का द्वार बना रहेगा. समय-समय पर कुछ चुनौतियां और असंतोष सामने आ सकते हैं, किंतु बोकारो इस्पात संयंत्र संवाद से समाधान की समृद्ध परंपरा से जुड़ा रहा है.आंदोलन के कारण कंपनी को उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ा
संयंत्र के उत्पादन व संचालन में किसी भी प्रकार का व्यवधान ना केवल संस्था के लिए बल्कि इससे जुड़े समस्त समुदाय के लिए नुकसानदेह होता है. हाल ही में घटित आंदोलन के कारण कंपनी को उत्पादन में भारी नुकसान उठाना पड़ा. करोड़ों का आर्थिक घाटा हुआ है, जो राष्ट्र की भी क्षति है. कोई भी गतिविधि जो संयंत्र के नियमित संचालन को बाधित करती है, उसका व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है. आंदोलन, बंद और इस तरह की कोई भी गतिविधि अंततः क्षेत्रीय विकास की गति को भी प्रभावित करता है. बोकारो इस्पात संयंत्र संवाद से समाधान की परंपरा में विश्वास रखता है और सभी हितधारकों से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा रखता है. राष्ट्र की धरोहर बोकारो इस्पात संयंत्र की सुरक्षा, उन्नति और निरंतर प्रगति के द्वारा ही यह आने वाले समय में आत्मनिर्भर भारत का सशक्त प्रतीक बन सकेगी.
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