बोकारो, बोकारो जनरल अस्पताल (बीजीएच) के चिकित्सकों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है. एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां इंसान के बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, वहां चिकित्सकों ने चमत्कार कर दिया. 25 फरवरी 2025 की रात 8:32 बजे बीजीएच के आपातकालीन कक्ष में एक युवक को गंभीर हालत में लाया गया. तलवार की वार से उसका चेहरे पर तीन जगह गंभीर कट हो गया था. गर्दन व सिर पर गहरे घाव थे और सांसें उखड़ रही थीं. खून से लथपथ इस मरीज को देखकर सभी के रोंगटे खड़े हो गये. लेकिन बीजीएच के डॉक्टरों की टीम ने इसे जीवनदान देने का संकल्प ले लिया.
डाॅक्टरों के समक्ष थी चुनौती
जैसे ही मरीज को कैजुअल्टी में लाया गया, डॉक्टरों ने बिना एक पल गंवाये रिससिटैशन शुरू किया. खून लगातार बह रहा था, सांसें थमने को थीं. लेकिन डॉक्टरों की टीम डॉ अनिंदा मंडल के नेतृत्व में डटी रही. मरीज को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, जहां डॉ सतीश के मार्गदर्शन में जनरल सर्जन डॉ अखिलेश व उनकी टीम ने सात घंटे तक ऑपरेशन कर खून बहना रोका. इस दौरान मरीज की नाक व मुंह से सांस लेना असंभव हो चुका था. इसलिए डॉ. बृजेश के नेतृत्व में इएनटी टीम ने ट्रेकियोस्टोमी (गले में सांस लेने का वैकल्पिक मार्ग) बनाकर उसे सांस दी.छह मार्च को टीम ने की प्लास्टिक सर्जरी
ऑपरेशन के बाद मरीज को सीसीयू (क्रिटिकल केयर यूनिट) में भर्ती किया गया, क्योंकि अत्यधिक रक्तस्राव के कारण खून उसके फेफड़ों में पहुंच चुका था, जिससे उसे घातक संक्रमण का खतरा था. डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत से मरीज को धीरे-धीरे स्थिर किया गया. मरीज की हालत में सुधार होते ही छह मार्च 2025 को प्लास्टिक सर्जरी टीम ने सबसे चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया. डॉ अनिंदा मंडल के नेतृत्व में डॉ अभिषेक खलखो, डॉ पुष्पा रंजन व डॉ तेजस्वी गुप्ता की टीम ने सात घंटे तक ऑपरेशन कर चेहरे की टूटी हड्डियों, नाक, होंठ और गाल को फिर से जोड़ने का कमाल कर दिखाया. इस दौरान डॉ अभिजीत दाम, डॉ. राजेश राज व उनकी एनेस्थीसिया टीम ने पूरी सर्जरी में मरीज को स्थिर बनाये रखा. इस पूरे इलाज के दौरान बीजीएच के कैजुअल्टी, सीसीयू, ओटी और वार्ड 2सी की नर्सिंग टीम ने चौबीसों घंटे काम किया, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकी.सेल की ट्रेनिंग ने दी टीम वर्क की सीख
बीजीएच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिंदो मंडल का कहना है कि इस सफलता के पीछे सिर्फ चिकित्सा विज्ञान ही नहीं, बल्कि सेल के अधिकारियों को आइआइएम कोझीकोड में दी गयी ट्रेनिंग भी एक बड़ा कारण बनी. यहां डॉक्टरों और अधिकारियों को टीम वर्क और कार्यस्थल पर सकारात्मक बदलाव लाने की सीख दी जाती है, जिसने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन सभी बदलावों को लाने में बीजीएच के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ विभूति करुणामय की भी स्वीकृति रहा.घायल राज महथा हुआ स्वस्थ, कहा : डॉक्टरों ने नयी जिंदगी दी
तलवार के भीषण हमले में गंभीर रूप से घायल राज महथा अब स्वस्थ हो रहा है. जल्द डिस्चार्ज होगा. राज ने कहा कि डॉक्टरों ने मुझे नया जीवन दिया, उनका शुक्रगुजार हूं. उनके पिता प्रकाश महथा, जो चास ब्लॉक के काशीझरिया में चाय की दुकान चलाते हैं, ने कहा कि जब हमने राज की हालत देखी, तो हम सभी उसकी जिंदगी को लेकर पूरी तरह निराश हो चुके थे. लेकिन, बीजीएच के डॉक्टरों ने चमत्कार कर दिया.
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