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Bokaro News : उत्पादन में बीएंडके की एकेके ओसीपी दोनों एरिया पर भारी

Bokaro News : देश की 25 सर्वश्रेष्ठ खदानों में शामिल सीसीएल बीएंडके एरिया की एकेके ओसीपी चालू वित्तीय वर्ष में 50 लाख टन कोयला उत्पादन करने की ओर अग्रसर है.

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बेरमो/गांधीनगर. देश की 25 सर्वश्रेष्ठ खदानों में शामिल सीसीएल बीएंडके एरिया की एकेके ओसीपी चालू वित्तीय वर्ष में 50 लाख टन कोयला उत्पादन करने की ओर अग्रसर है. यह उत्पादन आंकड़ा बेरमो कोयलांचल की सभी परियोजनाओं में से सबसे ज्यादा होगा. उत्पादन बढ़ाने के लिए कामगारों को प्रबंधन द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है. फिलहाल हॉट सीट योजना शुरू की गयी है. चालू वित्तीय वर्ष में 21 मार्च तक बीएंडके एरिया ने 66 लाख टन कोयला का उत्पादन किया है, जबकि लक्ष्य 90 लाख टन है. ढोरी एरिया ने 21 मार्च तक 4.87 टन उत्पादन किया, जबकि लक्ष्य 5.08 एमटी है. वहीं, कथारा एरिया ने 21 मार्च तक 2.632 एमटी उत्पादन किया है, जबकि लक्ष्य 4.42 एमटी है. यानि अकेले एकेके ओसीपी ने पूरे ढोरी एरिया के बराबर तथा कथारा एरिया से लगभग दोगुना उत्पादन की दिशा में तेजी से बढ़ रही है.

70 लाख टन उत्पादन का है लक्ष्य

हालांकि चालू वित्तीय वर्ष में एकेके ओसीपी को 70 लाख टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य मिला था. वित्तीय वर्ष के 10 दिन पहले तक 47 लाख टन उत्पादन हो चुका है. 54.84 लाख टन घन मीटर ओबी का निस्तारण भी किया गया है. 40.75 लाख टन कोयला का संप्रेषण भी कोनार-जारंगडीह रेलवे साइडिंग एवं रोड ट्रांसपोर्टिंग के माध्यम से किया है. परियोजना में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनी केएसएमएल ने 35 लाख टन कोयला उत्पादन किया है. विभागीय पैच से लगभग 11 लाख टन कोयला उत्पादन हुआ है. परियोजना उत्पादन लक्ष्य बढ़ाने के लिए 17 मार्च को कोल डे घोषित किया था और इस दिन 37 हजार टन उत्पादन किया था. परियोजना रोजाना लगभग 38-40 हजार टन कोयला का उत्पादन कर रही है. मालूम हो कि यह परियोजना पूरे बीएंडके एरिया के उत्पादन में 70 से 80 फीसदी योगदान कई वर्षों से देती चली आ रही है. परंतु वर्तमान में माइंस विस्तार में कई तरह की बाधाएं आने से उत्पादन का ग्राफ थोड़ा गिरा है. विगत दो वित्तीय वर्षों में लक्ष्य प्राप्ति में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

एकेके ओसीपी के पीओ सत्येंद्र सिंह एवं मैनेजर सुमेधानंदन ने कहा कि बरवाबेड़ा के दरगाह मोहल्ला की शिफ्टिंग की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. नये वित्तीय वर्ष में यहां से भी उत्पादन शुरू हो जायेगा. हालांकि पुरे बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट किया जाना अति आवश्यक है. इसको लेकर उच्च प्रबंधन भी गंभीर है. यह बेरमो की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे जीवित रखना जरूरी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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