चारा घोटाला : डोरंडा कोषागार से 7.06 करोड़ की अवैध निकासी का मामला
रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश बीके गौतम की अदालत में शनिवार को चारा घोटाला से जुड़ा मामला आरसी 54 ए/96 में फैसला सुनाया गया. चारा घोटाला से जुड़ा यह 47 वां मामला था.
इसमें कुल 52 आरोपी थे. इनमें 16 की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गयी थी, जबकि एक को सरकारी गवाह बनाया गया था. शेष 33 आरोपियों के खिलाफ केस चल रहा था. दो फरार हैं. अदालत ने 23 आरोपियों को मामले में दोषी पाते हुए उन्हें आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनायी. 10 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया. यह मामला डोरंडा कोषागार से सात करोड़ छह लाख 35 हजार रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. यह निकासी 1985 से 1990 के बीच हुई थी.
ये बरी हुए
देवेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव (ट्रेजरी अफसर), एनुल हक (एकाउंटेंट), सूरज प्रसाद साहू (एकाउंटेंट), दीनानाथ सहाय (क्लर्क), सुशील कुमार सिन्हा (सप्लायर), सुनील कुमार सिन्हा (सप्लायर), समीर वालिया सप्लायर, ओपी मिश्र (सप्लायर), सुशील कुमार खेतान, मदन मोहन पाठक.
इन्हें मिली सजा : डॉ केएम प्रसाद पांच वर्ष कैद, दो लाख जुर्माना. त्रिपुरारी मोहन प्रसाद पांच वर्ष 10 लाख. जय किशन प्रसाद पांच वर्ष दो लाख. कृष्ण मोहन प्रसाद सिन्हा पांच वर्ष दो लाख. डॉ गौरीशंकर प्रसाद तीन वर्ष एक लाख. सुरेश कुमार दुबे चार वर्ष दो लाख. विजय कुमार मलिक तीन वर्ष 40 हजार. संजय सिन्हा तीन वर्ष 25 हजार.
रामाशंकर सिंह चार वर्ष 80 हजार. बीपी सिन्हा चार वर्ष 1.5 लाख. रामनंदन सिंह चार वर्ष 1.25 लाख. अनिल कुमार सिन्हा तीन वर्ष 20 हजार. श्याम नंदन सिंह तीन वर्ष 50 हजार. मो सईद चार वर्ष दो लाख. डॉ अजीत कुमार वर्मा तीन वर्ष 30 हजार. नयन रंजन तीन वर्ष 25 हजार.
मोहिंदर सिंह बेदी तीन वर्ष 50 हजार. रमेश प्रसाद तीन वर्ष 20 हजार. प्रदीप नाथ महतो तीन वर्ष 20 हजार. सत्येंद्र मेहरा चार वर्ष एक लाख. जगमोहन लाल कक्कड़ तीन वर्ष 50 हजार. गजेंद्र कुमार कक्कड़ तीन वर्ष 50 हजार. ओम प्रकाश पांडे तीन वर्ष पांच हजार.

