रांची: विधानसभा का मॉनसून सत्र जुलाई के अंतिम सप्ताह में आहूत हो सकता है. सरकार 22 जुलाई से सत्र आहूत करने की तैयारी कर रही है. इधर विपक्ष भी सत्र को लेकर कमर कस रहा है. सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर विपक्ष मोरचा खोलेगा.
राज्य की विधि-व्यवस्था, स्थानीयता और शिक्षकों की बहाली में हो रही देरी जैसे मामलों से सदन गरमायेगा. इसके साथ ही पिछले सत्र में दिये गये आश्वासनों का भी विपक्ष हिसाब मांगेगा. राज्य में हो रही कोयला चोरी, बदहाल बिजली व्यवस्था और ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी की है. सदन के अंदर नये विधानसभा निर्माण के मुद्दे पर भी तनातनी हो सकती है. नये विधानसभा भवन के निर्माण के विरोध में कई विधायक आंदोलन में कूद गये हैं. उधर स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता पूरे प्रकरण से नाराज हैं.
विधि-व्यवस्था पर देना होगा जवाब : प्रदीप
झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि पार्टी लॉ एंड ऑर्डर को मुद्दा बनायेगी. पिछले दिनों सरकार ने सदन में कहा था कि बालू घाट पंचायतों को दिया जायेगा, लेकिन बालू घाट कंपनियों को हाथों बेच दी गयी. इस मामले में बड़ा खेल हुआ है. सरकार शिक्षकों की नियुक्ति में फेल हो गयी. राज्य में चौपट बिजली व्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार से जवाब मांगा जायेगा. बरसात आ गयी, लेकिन किसानों को अब तक धान नहीं मिला. ऊंची कीमत पर किसान बाजार से धान खरीद रहे हैं.जनहित के मामले को दरकिनार कर सरकार में केवल ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल चल रहा है.
पिछले सत्र के आश्वासन का जवाब देना होगा : विनोद
माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि इस सरकार से किसी नयी योजना या नयी घोषणाओं की उम्मीद नहीं की जा सकती है. पिछले सत्र में ही सरकार ने जो आश्वासन दिया, वह जमीन पर नहीं उतरी. स्थानीयता का मुद्दा हल करने की बात कही गयी थी, शिक्षक नियुक्ति का भरोसा दिलाया था. सरकार ने सदन में कहा था कि बीपीएल सूची में गड़बड़ी है. आर्थिक आधार पर इंदिरा आवास दिये जायेंगे. उस दिशा में भी कोई काम नहीं हुआ. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बाहर इलाज की सुविधा देने की घोषणा हुई थी. इन सारे कामों को सरकार अमली जामा नहीं पहना सकी. माले विधायक ने कहा कि इस सरकार में स्थिति बद से बदतर हुई है.
किसी मोरचे में काम नहीं हुआ : रघुवर
भाजपा विधायक रघुवर दास ने कहा कि किसी भी मोरचे पर सरकार सफल नहीं रही. राज्य में विकास कार्य ठप है. स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, बिजली जैसे जनता से जुड़े विभागों को सरकार ने नजरअंदाज किया है. इन विभागों में खर्च का हिसाब-किताब देख लें, तो सरकार की गंभीरता का पता चल जायेगा. हम सरकार से विकास योजना में खर्च का हिसाब मांगेंगे. यह सरकार जनता के काम के बजाय मौज-मस्ती में लगी है. सदन के अंदर जनता के सवालों का जवाब सरकार को देना होगा. सरकार के पास विकास का कोई विजन नहीं है.