रांची: रांची में लगातार हो रही हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए डीजीपी राजीव कुमार ने बुधवार को उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक में पुलिस मुख्यालय, सीआइडी व रांची पुलिस के आला अधिकारी शामिल हुए. बैठक के बाद डीजीपी ने रांची पुलिस को कई निर्देश दिये.
डीजीपी ने अफसरों को भूमि विवाद से जुड़े आपराधिक मामलों के अनुसंधान में तेजी लाने का निर्देश दिया. जिन मामलों में पुलिस अदालत में चाजर्शीट दाखिल कर चुकी है, उन मामलों के ट्रायल की मॉनीटरिंग करने को भी कहा. समीक्षा बैठक के दौरान कई ऐसे मामले मिले, जिनमें अभियुक्त के खिलाफ कुर्की-जब्ती तक की कार्रवाई हो चुकी है, लेकिन अभियुक्त पकड़े नहीं गये. ऐसे मामलों के आरोपियों को तय समय सीमा के अंदर गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया. डीजीपी ने बैठक के दौरान पुलिस अधिकारियों के बीच काम भी बांटे. राजधानी में सक्रिय अपराधियों की सूची बनाने, उस सूची पर कार्रवाई करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए अलग-अलग अफसरों को जिम्मेदारी दी गयी. बैठक में एडीजी मुख्यालय बीबी प्रधान, एडीजी सीआइडी एसएन प्रधान, रांची जोन के आइजी एमएस भाटिया, सीआइडी आइजी संपत मीणा, आइजी ट्रेनिंग शीतल उरांव, रांची के डीआइजी प्रवीण सिंह, सीआइडी एसपी साकेत कुमार सिंह, एसएसपी प्रभात कुमार, सिटी एसपी अनुप बिरथरे, ग्रामीण एसपी सुरेंद्र कुमार झा, सीआइडी एसपी मयूर कन्हैया पटेल, सिटी डीएसपी पीएन सिंह, सदर डीएसपी सतवीर सिंह, कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट उपस्थित थे.
भूमि विवाद सुलझाने के लिए प्रस्ताव
उच्च स्तरीय बैठक में यह तय किया गया कि भूमि से संबंधित वैसे विवाद जो पुलिस के पास आते हैं, उसे तुरंत सुलझाने के लिए पुलिस विभाग सरकार को प्रस्ताव देगी. प्रस्ताव में यह आग्रह किया जायेगा कि ऐसे मामलों को तत्काल सुलझाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाये. डीजीपी राजीव कुमार ने बताया कि जमीन विवाद को लेकर पुलिस के पास न तो कोई अधिकार है और न ही कोई रिकार्ड. इस कारण पुलिस ऐसे मामलों को निपटा नहीं पाती है. अगर समय पर मामले सुलझा लिये जाएं तो हत्या की नौबत नहीं आयेगी. जिला स्तर पर उपायुक्त के स्तर से इस पर कार्रवाई की जा सकती है.
सीआइडी करे मॉनिटरिंग
बैठक में सीआइडी के अधिकारियों से डीजीपी ने कहा कि वे रांची समेत विभिन्न जिलों में हो रहे अपराध की मॉनिटरिंग करें. अपराध के ट्रेंड और इसमें शामिल अपराधियों के बारे में जिला पुलिस को जानकारी दें. साथ ही आपराधिक मामलों के अनुसंधान को लेकर जिला पुलिस के अधिकारियों को निर्देशित भी करें.