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सैकड़ों महादलित व अल्पसंख्यक छात्राओं ने स्कूल जाना छोड़ा

अव्यवस्था. चौहट्टा विद्यालय को बंद कर एक किलोमीटर दूर युसूफपुर में कर दिया गया शिफ्ट सरकार के शिक्षा का अधिकार कानून यहां बन गया माखौल चौहट्टा छीपी टोला में 1976 में राजकीय प्राथमिक स्कूल खुला था 1987 से यह विद्यालय चौहट्टा सामुदायिक भवन में चल रहा था वार्ड नंबर 29 में उपस्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय, […]

अव्यवस्था. चौहट्टा विद्यालय को बंद कर एक किलोमीटर दूर युसूफपुर में कर दिया गया शिफ्ट

सरकार के शिक्षा का अधिकार कानून यहां बन गया माखौल
चौहट्टा छीपी टोला में 1976 में राजकीय प्राथमिक स्कूल खुला था
1987 से यह विद्यालय चौहट्टा सामुदायिक भवन में चल रहा था
वार्ड नंबर 29 में उपस्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छीपीटोला चौहट्टा के बंद होने से यहां के बच्चों का स्कूल जाना ही बंद हो गया. सरकार के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्राधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 साल के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया है. पर अफसोस की बात है कि शहर के इस पिछड़े इलाके के सैकड़ों बच्चे अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं.
हाजीपुर : सिर्फ कुछ बच्चों के लिए एक आकर्षक स्कूल और प्रसन्न पोशाकें, बाकी बच्चों का हुजूम टप्परों के नसीब में उलझ गया है’. कवि चंद्रकांत देवताले की ये पंक्तियां प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा को दरसाती हैं. लेकिन हाजीपुर नगर के वार्ड नंबर 29 के बच्चों का दर्द इससे कहीं ज्यादा गहरा है, जिनके सामने से टप्परों का नसीब भी छिन गया है. वार्ड नंबर 29 में उपस्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छीपीटोला चौहट्टा के बंद होने से यहां के बच्चों का स्कूल जाना ही बंद हो गया.
सरकार के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्राधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 साल के बच्चों की शिक्षा को अनिवार्य बनाया गया है. बड़े अफसोस की बात है कि शहर के इस पिछड़े इलाके के सैकड़ों बच्चे अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं. चौहट्टा क्षेत्र की बच्चियां जब राह से गुजरती अन्य स्कूली बच्चियों को देखती हैं, तो इनका भी मन हुलस जाता है स्कूल जाने के लिए. पर क्या करें, जिस स्कूल में पढ़ने जाती थी, अब वह रहा ही नहीं.
2013 में यहां से चला गया विद्यालय : शहर के चौहट्टा इलाके में कभी हाइस्कूल भी चलता था. आज दुर्भाग्य से एक प्राथमिक विद्यालय तक नहीं है. दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की आबादी वाले वार्ड नंबर 29 को एक प्राइमरी स्कूल भी नसीब नहीं, जहां गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई कर सकें. चौहट्टा स्थित सामुदायिक भवन में 1987 से चल रहे राजकीय प्राथमिक विद्यालय को यहां से हटा कर लगभग एक किलोमीटर दूर बड़ी युसूफपुर में स्थित एक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया. अक्तूबर, 2013 में जब चौहट्टा सामुदायिक भवन से स्कूल को हटाया गया,
तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. बच्चों के अभिभावकों ने डीएम से गुहार लगायी. डीएम ने शिक्षा विभाग के प्रोग्राम ऑफिसर को निरीक्षण का निर्देश दिया. निर्देश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. बच्चों के अभिभावक बताते हैं कि इस मुद्दे को लेकर जब बीइओ और डीइओ के यहां गये, तो डांट कर भगा दिया गया.
चार दशक पुराने विद्यालय में पढ़ते थे दो सौ से अधिक बच्चे : चौहट्टा, छीपीटोला में 1976 में राजकीय प्राथमिक स्कूल का संचालन शुरू हुआ था. तब इसमें कक्षा एक से तीन तक की पढ़ाई होती थी. स्कूल का अपना भवन नहीं होने के कारण यह निजी मकान के बरामदे में चलता था. 1987 से यह विद्यालय चौहट्टा सामुदायिक भवन में चलने लगा. शिक्षक बढ़कर दो से चार हुए. कक्षाएं बढ़ी और पांचवे क्लास तक की पढ़ाई होने लगी. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे, बच्चियों की संख्या बढ़कर दो सौ से ऊपर हो गयी. सामुदायिक भवन में विद्यालय चल रहा था, तो इस इलाके के निर्धन एवं कमजोर वर्ग के बच्चे, खासकर लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा मिल जा रही थी. जब से यहां से स्कूल हटाया गया, इनमें अधिकतर की पढ़ाई बंद हो गयी. दूर होने के कारण बच्चियां बड़ी युसूफपुर के स्कूल में जा नहीं पाती. अभिभावक भी बच्चियों को इतनी दूर भेजना नहीं चाहते.
क्या कहते हैं लोग
हमलोगों के घर के बच्चे राजकीय प्राथमिक विद्यालय, चौहट्टा छीपीटोला में ही पढ़ने जाते थे. लगभग तीन
साल पहले स्कूल को यहां से दूसरे वार्ड में ले जाया गया. बच्चे वहां
नहीं जा पाते, क्योंकि स्कूल काफी दूरी पर है.
देवेंद्र पंडित, चौहट्टा
चौहट्टा का विद्यालय बंद होने से हमारी बच्चियों की पढ़ाई बंद हो गयी. हम मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग हैं. आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें. स्कूल को यहां वापस लाया जाना चाहिए, ताकि गरीब घरों की बेटियां पढ़ सकें.
रवींद्र रविदास, छीपीटोला
प्राथमिक विद्यालय चौहट्टा में पांचवें क्लास तक लगभग सवा दो सौ बच्चे पढ़ते थे. इनमें आसपास के कमजोर वर्ग के बच्चे-बच्चियां शामिल थे. विद्यालय को यहां से हटा कर बड़ी युसूफपुर ले जाने से यहां के आधे से ज्यादा बच्चे वहां नहीं जा पाते.
फरहत हाजीपुरी, चौहट्टा
क्या कहते हैं विद्यालय प्रधान
विभागीय आदेश के आलोक में राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छीपीटोला को प्राथमिक विद्यालय चकबाग मदन कंकड़ में टैग कर दिया गया है. विद्यालय में अभी प्रधान शिक्षिका समेत दो शिक्षिकाएं हैं. विद्यालय में बच्चों की संख्या 107 है. दूरी के कारण बच्चों की संख्या कम हो गयी है.
रीना कुमारी, प्रधानाध्यापिका, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छीपीटोला, चौहट्टा
क्या कहते हैं अधिकारी
वार्ड नंबर 29 में राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छीपीटोला का अपना भवन नहीं था. इसलिए इस विद्यालय को वार्ड नंबर 28 के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, चकबाग मदनकंकड़ में टैग कर दिया गया. वार्ड नंबर 29 में विद्यालय भवन के लिए यदि जमीन की व्यवस्था हो जाये, तो वहां फिर विद्यालय स्थापित हो सकता है.
नवनाथ मिश्रा, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, हाजीपुर
बच्चों की संख्या हुई आधी, एक कमरे में चल रहा विद्यालय
शिक्षा विभाग के भवनहीन विद्यालयों को अन्य विद्यालयों में शिफ्ट करने के आदेश का हवाला देकर चौहट्टा के विद्यालय को यहां से हटाने का प्रपंच रचा गया. ऐसा यहां के निवासियों का कहना है. मुहल्लावासी कहते हैं कि विद्यालय भवनहीन कहां था, यह तो सामुदायिक भवन में चल रहा था. इनका कहना है कि नगर क्षेत्र के धनौती में सामुदायिक भवन में ही विद्यालय चल रहा है. जब उसे नहीं हटाया गया, तो चौहट्टा से स्कूल को अलग ले जाने का क्या औचित्य है. इधर विद्यालय को बड़ी युसुफपुर के जिस राजकीय प्राथमिक विद्यालय, चकबाग में शिफ्ट कर दिया गया है, वह खुद आधारभूत संरचना का घोर अभाव झेल रहा है. दो कमरे के विद्यालय भवन में किसी तरह दो-दो स्कूल चलाये जा रहे हैं. एक कमरे में एक विद्यालय के वर्ग एक से पांच तक के बच्चों की पढ़ाई की जा रही है. इनमें चकबाग, मदन कंकड़ विद्यालय के बच्चों की संख्या 119 है तथा चौहट्टा छीपीटोला स्कूल के बच्चों की संख्या 107 है. गौरतलब है कि चौहट्टा स्कूल को यहां शिफ्ट करने के बाद बच्चों की संख्या घटकर आधी हो गयी है. विद्यालय में न शौचालय है, न चहारदीवारी. बिजली की बात तो दूर, बच्चों के पढ़ने वाले कमरे में कायदे से रोशनी और हवा तक नहीं पहुंच पाती.

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