राघोपुर में शुद्ध पेयजल के साथ ही सिंचाई के लिए पानी का भी संकट
यहां लगे तीन राजकीय नलकूप भी वर्षों बाद नहीं हो सके चालू
जल स्तर नीचे जाने से जल संकट हुआ विकराल
भू-जल स्तर नीचे चले जाने से क्षेत्र के अधिकतर चापाकल व बोरिंग फेल हो चुके हैं. किसी टोले-मुहल्ले की पूरी आबादी पेयजल के लिए एक से दो चापाकलों पर ही निर्भर है. वहीं, जो चापाकल पानी बमुश्किल दे भी रहे हैं, वह पीने लायक नहीं है. एक तरफ जहां स्वच्छ पेयजल की समस्या विकट होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है.
राघोपुर : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में जल संकट एक गंभीर समस्या बन गया है. एक तरफ जहां स्वच्छ पेयजल की समस्या विकट होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. भू-जल स्तर नीचे चले जाने से क्षेत्र के अधिकतर चापाकल व बोरिंग फेल हो चुके हैं. किसी टोले-मुहल्ले की पूरी आबादी पेयजल के लिए एक से दो चापाकलों पर ही निर्भर है.
आर्सेनिकयुक्त पानी से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव : पानी में आर्सेनिक व आयरन की अत्यधिक मात्रा होने से इसका कुप्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. नतीजतन, लोग जलजनित गंभीर बीमारियों के शिकार होने लगे हैं.
जल संकट गहराता जा रहा है. इससे पेयजल का अभाव खटकने लगा है, वहीं सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से कृषि बाधित हो रही है. ऐसे में मानव समेत अन्य जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है. उक्त गंभीर समस्या से ग्रस्त ग्रामीणों ने पदाधिकारियों को ध्यान जल संकट की ओर आकृष्ट कराते हुए जल के प्रयाप्त प्रबंधन की मांग की है.
जलमीनार से कभी नहीं मिला एक बूंद पानी : राघोपुर क्षेत्र के दर्जनों ग्रामीणों ने संयुक्त हस्तक्षरित आवेदन बीडीओ को देते हुए समस्या का निराकरण करने की मांग की है. वैशाली जिला भूतपूर्व सैनिक संघ के सदस्यों सुरेंद्र सिंह, दिनेश प्रसाद सिंह, जगदीश प्रसाद चौधरी आदि के नेतृत्व में क्षेत्र के फतेहपुर के दर्जनों ग्रामीणों ने नेतृत्व में क्षेत्र के फतेहपुर के दर्जनों ग्रामीणों ने बीडीओ को दिये आवेदन में कहा है कि लगभग एक दशक पूर्व प्रखंड कार्यालय परिसर में जलमीनार का निर्माण कराया गया था. फतेहपुर में जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन में एक बूंद पानी की भी आपूर्ति नहीं हो सकी.
तीन स्टेट ट्यूबवेल नहीं हो सके अब तक चालू : एक दशक पूर्व इस ग्राम में फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी स्तर पर तीन स्टेट ट्यूबवेल भी लगाये गये, लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से आज तक सभी चालू नहीं किया जा सका.
इतने दिनों से यह चीजें शोभा की वस्तु भर बन कर रह गयी हैं. अब जब जल संकट सबसे बड़े संकटों में से एक बन गया है, तो आवेदकों ने जलमीनार व ट्यूबवेलों को अतिशीघ्र चालू कराने की मांग की, ताकि लोगों की प्यास बुझने के साथ-साथ फसलों को भी बचा सकें.