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जिले में जलसंकट गंभीर, विभाग बेखबर

हाजीपुर : एक तो गर्मी का कहर और उपर से पानी का संकट. जिले में शहर से गांव तक, लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल को तरसना पड़ रहा है. इसका नतीजा है कि जिले के लाखों लोग प्रदूषित पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. यह जानते हुए कि दूषित जल से […]

हाजीपुर : एक तो गर्मी का कहर और उपर से पानी का संकट. जिले में शहर से गांव तक, लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल को तरसना पड़ रहा है. इसका नतीजा है कि जिले के लाखों लोग प्रदूषित पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. यह जानते हुए कि दूषित जल से ही कई बीमारियां पैदा होती हैं, मजबूरन लोगों को यह पीना पड़ रहा है. हाजीपुर शहर से लेकर जिले के ग्रामीण इलाकों तक जल के स्रोत प्रदूषण युक्त हो चुके हैं.

वाटर सप्लाई के नलों से निकल रही नाले की गंदगीहाजीपुर शहर की हालत देखें तो जलापूर्ति के लिए बिछी पाइप लाइन अधिकांश जगहों पर टूट फूट कर क्षतिग्रस्त हो चुकी है. सड़क के नीचे से और सड़क किनारे नाले से गुजरने वाले पाइप जहां तहां फूटे हुए हैं, जिसके चलते तमाम तरह की गंदगी पेयजल में मिलकर नलों से निकल रहीं है. नलकों पर सप्लाई का पानी भरने के दौरान लोगों के बर्तन में अक्सर कभी कीड़े तो कभी कचरे निकलते रहते हैं.
साधन संपन्न लोगों ने तो अपने घर में आरओ का फिल्टर मशीन आदि लगाकर शुद्ध पानी का प्रबंध कर रखा है, लेकिन साधारण लोगों के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इनके समक्ष नाले से गुजरते जर्जर पाइप का दूषित पानी पीने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है.प्रदूषित पानी पीने का नतीजा है कि लोगों को पीलिया, डायरिया, टाइफायड आदि अनेक बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. विगत एक महीने के अंदर जिले के विभिन्न इलाकों में डायरिया से आक्रांत मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. केवल सदर अस्पताल में रोजाना एक दर्जन से अधिक लोग डायरिया से पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं. इनमें ज्यादातर बच्चे शामिल होते हैं. चिकित्सक बताते हैं कि इन बीमारियों की मुख्य वजह पानी की गड़बड़ी है.
आर्सेनिक युक्त पानी से बढ़ रही बीमारी
जिले में बड़ी संख्या में लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश हैं. इसके चलते लोग बीमारी भी मोल ले रहे हैं. डॉ अमरेश कुमार सिंह का कहना है कि आर्सेनिक युक्त पानी का उपयोग करने से त्वचा, फेफड़े आदि का कैंसर होने का खतरा रहता है. चिकित्सक के अनुसार अंगुलियों एवं अंगूठे का सड़ जाना, हथेली एवं तलवे की चमड़ी का मोटा होना और उस पर गांठ पड़ना, कमजोरी एवं सांस लेने में परेशानी महसूस करना,शरीर की त्वचा पर सफेद- काले धब्बे निकलना आदि आर्सेनिकोसिस रोग के लक्षण होते हैं.
फ्लोरोसिस के शिकार हो रहे हैं लोग
चिकित्सकों की माने तो जिले में ऐसे हजारों मरीज हैं, जिनकी बीमारी से स्पष्ट है कि पानी के माध्यम से शरीर में आर्सेनिक या फ्लोराइड के जमा होने के कारण उन्हें बीमारी हुई है. चिकित्सकों के अनुसार फ्लोराइड युक्त पानी पीने से पैदा होने वाला फ्लोरोसिस रोग शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है. डॉ अमर आलोक कहते हैं कि इस बीमारी का शिकार होने वाले मरीजों में खून की कमी, बार बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, मांसपेशियों का कमजोर होना, दांतों पर पीले-भूरे धब्बे पड़ना, गर्दन एवं कंधे के जोड़ों में दर्द होना, घुटने मे दर्द एवं बिना घुटना मोड़े हाथों से पैर का अंगूठा छूने में कष्ट की शिकायत पायी जाती है. भूख कम लगना, जी मिचलाना, पेट में दर्द और गैस बनना, कब्जियत एवं दस्त होना भी फ्लोरोसिस के लक्षण हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में आर्सेनिक मुक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्य प्रगति पर है. शहरी क्षेत्र में क्षतिग्रस्त पाइपों को बदलने का काम अब नप के माध्यम से ही होगा, क्योंकि नगर में जलापूर्ति की व्यवस्था अब पर्षद के जिम्मे है. जहां तक ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति पाइप लाइन के जर्जर होने की बात है, तो वहां उन्हें दुरुस्त किया जायेगा.
ई केशव कुमार लाल, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी
करें ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग
फैले प्रदूषण के बीच जाने अनजाने पानी के स्रोतों में अनेक तरह की गंदगी मिलती है. विषेशज्ञों की राय में इनसे बचने के लिए नल, चापाकल व अन्य जल स्रोतों के निकट पर्याप्त सफाई जरूरी है. इसके साथ ही कुएं एवं चापाकल का पानी शुद्ध करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करना चाहिए. ब्लीचिंग पाउडर डालने से पानी का प्रदूषण कम हो जाता है.

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