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सदर अस्पताल : फिजिशियन करते हैं मरीजों की सर्जरी का काम

हाजीपुर सदर : कहने को तो जिले के सदर अस्पताल में मरीजों की प्रत्येक सुविधा का ख्याल रखा जाता है. लेकिन आंशिक रूप से घायल मरीजों के साथ-साथ गंभीर रूप से घायल मरीजों को अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर किये जाने के अलावा यहां कुछ भी नहीं किया जाता है. मरीजों के परिजनों […]

हाजीपुर सदर : कहने को तो जिले के सदर अस्पताल में मरीजों की प्रत्येक सुविधा का ख्याल रखा जाता है. लेकिन आंशिक रूप से घायल मरीजों के साथ-साथ गंभीर रूप से घायल मरीजों को अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद रेफर किये जाने के अलावा यहां कुछ भी नहीं किया जाता है. मरीजों के परिजनों की मानें तो यहां गंभीर रूप से घायल मरीज हो या मामूली रूप से घायल सबों के साथ एक ही तरह का व्यवहार करते हुए रेफर कर दिया जाता है.

सब से ज्यादा परेशानी तो उस वक्त होती है जब इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात एक डॉक्टर को ही इमरजेंसी वार्ड की ड्यूटी और पोस्टमार्टम का कार्य निबटाना पड़ता है. अस्पताल में उस वक्त हंगामा खड़ा हो जाता है जब ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर पोस्टमार्टम के लिए चला जाता है. दूसरी ओर दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति की जब डॉक्टर की शख्त जरूरत होती है, तो उस वक्त डॉक्टर साहब पोस्टमार्टम करने में व्यस्त होते है. जानकारी होने पर गंभीर रूप से घायल मरीज के परिजन जब हंगामा करने लगते है.

तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है. सदर अस्पताल में डॉक्टर का सहारा न मिलते देख मरीज के परिजन किसी निजी नर्सिंग होम का सहारा लेने को मजबूर हो जाते है. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में प्रतिदिन 75 से 100 मरीजों का आना जाना लगा रहता है. एक अनुमान के अनुसार आने वाले मरीजों में से गंभीर रूप से घायल तीन-पांच मरीजों को निश्चित रूप से पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. एक महीने के अंदर करीब 25 सौ से लेकर तीन हजार मरीजों का इलाज इमरजेंसी वार्ड में किया जाता है.

सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड बना रेफर टू पीएमसीएच
एक शिफ्ट में एक ही चिकित्सक की इमरजेंसी वार्ड में रहती है ड्यूटी
इमरजेंसी मरीजों को छोड़ पोस्टमार्टम करने चले जाते हैं डॉक्टर
– भगवान भरोसे चलता है सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड
– महीना में 25 सौ से तीन हजार मरीज इमरजेंसी वार्ड में होते हैं भर्ती
गंभीर या मामूली रूप से घायल मरीजों को डॉक्टरों द्वारा तुरंत पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. डॉक्टर अपने कर्तव्य से मुक्त होने के लिए गंभीर मरीजों को अस्पताल से रेफर कर देते है. जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सदर अस्पताल के डॉक्टर अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं है.
इंदू भूषण झा, मरीज के परिजन
क्या कहते हैं पदाधिकारी
एक साथ सदर अस्पताल में कई गंभीर रूप से घायलों के पहुंचने पर स्वयं मोर्चा संभालते है और इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर के अलावा भी डॉक्टरों की व्यवस्था अविलंब की जाती है. गंभीर रूप से घायलों के इलाज के प्रति बेहद संवेदनशीलता के साथ डॉक्टर अपनी जिम्मेवारी निभाते है .
यूपी वर्मा, उपाधीक्षक सदर अस्पताल

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