24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar News: चाक की लय पर थिरक रहा कुम्हारों का जीवन, आधुनिकता की चकाचौंध में मिट्टी के दीयों का क्रेज हुआ कम

Bihar News: दीपोत्सव का महापर्व दीपावली अब कुछ ही दिन शेष बचें है. इस पर्व में मिट्टी के दीये और खिलौने का खास महत्व माना जाता है. लेकिन आज के दौर में मिट्टी के बने शानदार दीयों का कोई कद्रदान नहीं मिल रहा है.

Bihar News: दीप बिन दीपावली अधूरी मानी जाती है. इसलिए दिवाली को और ही अधिक विशेष बनाने के लिए कई महीनों से कुम्हारों का पूरा परिवार लग जाता है. तब जाकर हजारों दीये व खिलौने तैयार होते है. दीपोत्सव का महापर्व दीपावली अब कुछ ही दिन शेष बचें है. इस पर्व में मिट्टी के दीये और खिलौने का खास महत्व माना जाता है. लेकिन आज के दौर में मिट्टी के बने शानदार दीयों का कोई कद्रदान नहीं मिल रहा है. कुम्हारों का इस पुश्तैनी पेशे पर एक बार फिर ग्रहण लगते दिख रहा है. कई कुम्हारों के नन्हें-नन्हें बच्चों के हाथ कई महीनों से मिट्टी में सने होते है.

पूरा परिवार अपनी जिम्मेदारियों के तहत इस निर्माण कार्य में लगे रहते है. लेकिन मेहनत का फल इन्हें नहीं मिल पाता है. आधुनिक युग में घी और तेल काफी मंहगे होने से दीया जलाना तो दूर इनलोगों के पूरे परिवार का खाना जुटाना भी मुश्किल सा हो गया है. वैसे तो मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल शादी-विवाह, पूजा या फिर कोई पर्व त्यौहारों में होता है, लेकिन देश भर में चमचमाती और आकर्षित करती चाइनीज सामानों के आगे नन्हें-नन्हें हाथों से बने मनमोहक दीयों की बिक्री की पनपी उम्मीदों पर कुम्हारों की सूरत बिगड़ चुकी है.

दीपोत्सव के इस महोत्सव पर लोगों का जीवन रौशन करने वाले कुम्हारों की जिंदगी में भी खुशहाली अपेक्षित है. पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि लंका जीतने के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के आगमन के उत्साह में दीपावली मनाया जाता है. इस दिन लोग मिट्टी के दीये जलाकर खुशियां मनाते है. इस दिन माता लक्ष्मी एवं गणेश जी की पूजा जाती है. मिट्टी के दीपक की जगह कुछ वर्षों से चायनीज लाइटों ने ले लिया है, जिसकी वजह से कुम्हारों का कमर टूट गया है.

बतादें कि दीपावली का त्योहार आने कि सबसे अधिक इंतजार कुम्हारों कि होती है. वही, दिवाली अब दीप बनाने वालों के लिए खुशी कि जगह मायूसी का त्योहार बनता जा रहा है. सुनील कुमार पंडित, राजकुमार पंडित, सुरेश पंडित, दिलीप पंडित, सहित अन्य कुम्हारों ने बताया कि चाइनीज बल्बों के आगे मिट्टी के दीये फीके पड़ गये है. लागत मूल्य एवं मेहताना भी ठीक से नहीं निकल पाता है. इसे अंतिम रूप देने के लिए सभी परिवार के साथ चार महीनों से मिट्टी के हाथ से सने होते हैं.

तब जाकर दीये व खिलौने तैयार होते हैं. लेकिन अन्य समानों के दाम बढ़ने के बाद भी मिट्टी के दीये का उचित भाव नहीं बढ़ा है. कल भी 60 रुपये सैकड़ा बेचते थे और आज भी उसी भाव में बेच रहे हैं. बस भाव बढ़ा है तो चाइनीज लाइटों का. उन्होंने कहा कि सारकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए नहीं तो कुम्हारों का पुष्तैनी पेशा आने वाले समय में खत्म हो जायेगा.

बैजू कुमार की रिपोर्ट

Posted by: Radheshyam Kushwaha

Prabhat Khabar News Desk
Prabhat Khabar News Desk
यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel