शिवनी घाट पर बने चचरी पानी के दबाव में बहे
छातापुर. प्रखंड क्षेत्र में शनिवार की शाम लगातार चार घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं. मानसून काल के अंत में हुई भीषण बारिश से सुरसर नदी, गैड़ा नदी एवं मिरचैया नदी उफान पर है. वहीं अधिकांश इलाके में धान की फसल को भारी नुकसान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. बारिश के कारण प्रखंड क्षेत्र के निचले हिस्से में जगह-जगह जलभराव हो गया. कई ग्रामीण सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाने की सूचना मिल रही है. अचानक जलस्तर में वृद्धि से सुरसर नदी के शिवनी घाट पर बना नया चचरी पुल फिर से बह गया. वहीं मुख्यालय पंचायत वार्ड संख्या नौ स्थित नरहैया के समीप गैड़ा नदी पर बने चचरी को बहा ले गयी. हालांकि स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू के प्रयास से दोनों जगह नाव उपलब्ध करा दिया गया है.इधर परियाही घाट एवं संस्कृत विद्यालय लालगंज के समीप दो मुहाना घाट पर भी नाव उपलब्ध कराने की कवायद की जा रही है. मानसून काल के सबसे भीषण बारिश के चलते मुख्यालय में सरकारी कई दफ्तर से लेकर आवासीय परिसर में जलजमाव हो गया है. लोगों की मानें तो शनिवार की शाम पांच बजे से रात साढे आठ बजे तक भीषण बारिश हुई. इस दौरान आकाशीय बिजली की तरतडाहट से लोगों के बीच खौफ का माहौल बना रहा. जिसके बाद रविवार सुबह तक हल्की बारिश का दौर चलता रहा. रविवार को पूरे दिन आकाश में बादल छाये रहे. मिनट भर के लिए भी सूर्य के दर्शन नहीं हुए. बताया कि ऐसी स्थिति में यदि फिर से बारिश हुई तो मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं. ऐसे में राहत व बचाव कार्य के लिए प्रशासन को अलर्ट रहने की जरूरत है. बारिश के बाद उत्पन्न स्थिति पर नजर बनी हुई है. जान-माल की सुरक्षा और आवागमन को सुचारू रखने को लेकर प्रशासन तत्पर है.
डॉ राकेश गुप्ता, बीडीओ
फसल क्षति के आकलन के लिए सभी किसान सलाहकार को निर्देश दिया गया है. क्षति आकलन के बाद ही प्रतिवेदन तैयार किया जा सकता है.सुधाकर पांडेय, बीएओB
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