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एचआईवी कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक नियंत्रित होने वाली बीमारी : सीएस

सदर अस्पताल में जीविका कर्मियों को एचआईवी व सामाजिक सुरक्षा विषय पर किया गया प्रशिक्षित

सदर अस्पताल में जीविका कर्मियों को एचआईवी व सामाजिक सुरक्षा विषय पर किया गया प्रशिक्षित सुपौल. सदर अस्पताल के सभागार में आईसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) के तत्वावधान में जीविका कर्मियों के लिए एचआईवी एवं सामाजिक सुरक्षा विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्देश्य जमीनी स्तर पर कार्यरत जीविका कर्मियों को एचआईवी, एड्स, यौन संचारित रोगों, जांच, उपचार एवं सरकार द्वारा उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की विस्तृत जानकारी देना था. ताकि वे समुदाय में सही जानकारी का प्रसार कर सके. कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर ने दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर सिविल सर्जन ने कहा कि एचआईवी कोई अभिशाप नहीं बल्कि एक नियंत्रित होने वाली बीमारी है. बशर्ते समय पर जांच और नियमित उपचार कराया जाए. उन्होंने जीविका कर्मियों से अपील की कि वे समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करें. लोगों को बिना किसी भय व संकोच के जांच कराने के लिए प्रेरित करें. कहा कि एचआईवी संक्रमण के मुख्य कारणों, उससे बचाव के उपायों, सुरक्षित व्यवहार तथा समय पर एआरटी दवा लेने से सामान्य जीवन जीने की संभावनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करना आज की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी साझा करते हुए कहा कि एचआईवी से प्रभावित व्यक्तियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सकता है. जिसके लिए सही मार्गदर्शन जरूरी है. डॉ अखिलेश सिंह ने कहा कि जीविका कर्मी ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की मजबूत कड़ी हैं. यदि उन्हें सही और अद्यतन जानकारी दी जाए, तो वे स्वास्थ्य सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकती है. उन्होंने बताया कि एचआईवी की समय पर पहचान, परामर्श और उपचार से न केवल संक्रमित व्यक्ति का जीवन बेहतर होता है, बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा सकता है. एसएमसी अनुपमा कुमारी एवं डॉ आनंद ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि सभी गर्भवती महिलाओं के लिए एचआईवी एवं सिफीलिस जांच अनिवार्य है. समय पर जांच और उपचार से मां से बच्चे में संक्रमण की संभावना को लगभग शून्य तक लाया जा सकता है. उन्होंने जीविका कर्मियों से कहा कि वे गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए प्रेरित करें और जांच से जुड़ी किसी भी तरह की झिझक को दूर करने में सहयोग करें. डॉ एमएन यादव एवं प्रेम कुमार झा ने एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) दवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एआरटी दवा नियमित रूप से लेने से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है. साथ ही उन्होंने दवा छोड़ने के दुष्परिणामों पर भी चर्चा की. कार्यक्रम के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया. जिसमें जीविका कर्मियों ने अपनी शंकाओं को विशेषज्ञों के समक्ष रखा. अंत में सभी ने संकल्प लिया कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में एचआईवी, यौन संचारित रोगों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के प्रति जागरूकता फैलाएंगे तथा जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. मौके पर रश्मि जयसवाल, किरण मिश्रा सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे.

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