गर्मी का मौसम शुरू होते ही बढ़ने लगे अग्निकांड के मामले, लापरवाही से सैकड़ों परिवार के करोड़ों रुपये की संपत्ति का हुआ नुकसान शंकर/रौशन, सुपौल गर्मी के दस्तक देते ही जिले में आग का तांडव शुरू हो गया है. पछिया हवा व मौसम के गर्म होने की वजह से पल भर में ही अग्नि विकराल रूप धारण कर पूरी बस्ती को खाक कर रही है. अग्नि के विकराल रूप को देख लोग उस पर काबू पाने की हिम्मत ऊी नहीं जुटा पा रहे हैं. क्षण भर में ही वर्षों की जमा पूंजी खाक हो जा रही है. इसमें सबसे बड़ी लापरवाही भी लोगों की है. लोगों की लापरवाही की वजह से ही अग्निकांड हो रही है. कहीं चूल्हे की चिंगारी, तो कहीं अलाव, तो कहीं शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने की घटनाएं हो रही हैं. कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें लोगों को यह पता नहीं चल सका कि घर में आग कैसे लगी है. हाल के दिनों में घटित घटना पर गौर करें तो 84 अग्निकांड में करीब 500 घर जल चुके हैं, जिसमें लोगों की करोड़ों की संपत्ति खाक हुई है. कई गरीब परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हुए हैं. कई लोगों के बेटी के हाथों में मेहंदी रची रह गयी. गर्मी के सीजन में जहां अग्निकांड की प्रबल संभावना रहती है. वहीं लोगों को जागरूक होकर आग से बचाव के तरीके अपनाने होगें, ताकि अग्निकांड की घटना पर विराम लगाया जा सके. अग्निशमन विभाग द्वारा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में आग से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. जिले में 01 जनवरी से 02 अप्रैल तक अग्निकांड के कुल 84 मामले सामने आये. – इसमें सुपौल अनुमंडल में 47 कांड – त्रिवेणीगंज अनुमंडल में 20 कांड – निर्मली अनुमंडल में 04 कांड – वीरपुर अनुमंडल में 13 कांड जिले में है कुल 08 हॉट स्पॉट केंद्र प्रतापगंज, राघोपुर, बलुआ, किशनपुर, पिपरा, छातापुर, भीमपुर, जदिया जिले में हैं कुल 16 दमकल वाहन बड़ा – 08 छोटा – 08 सदर अस्पताल में लगा अग्निशामक यंत्र है एक्सपायर सरकारी संस्थान में लगे फायर सेफ्टी यंत्र की नियमित जांच नहीं हो रही है, जो प्रशासनिक व विभागीय पदाधिकारी की लापरवाही को दर्शाता है. सदर अस्पताल में लगे फायर सेफ्टी यंत्र एक्सपायर हो चुकी है. ऐसे में अग्निकांड की घटना घटित होती है तो बड़ी क्षति हो सकती है. जबकि शहर के दर्जनों कोचिंग सेंटर में आग से बचाव की व्यवस्था नहीं है. जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. प्रभात अपील आग लगने पर तुरंत 101 नंबर पर कॉल कर सूचना दें. यह नहीं सोचें कि कोई दूसरा इसकी सूचना पहले ही दे चुका होगा. धुआं से घिरे होने पर अपने नाक और मुंह को गीले कपड़े से ढक लें. अगर आप धुएं से भरे कमरे में फंस जाएं और बाहर निकलने का रास्ता न हो, तो दरवाजे को बंद कर लें. सभी दरारों और सुराखों को गीले तौलिये या चादरों से सील कर दें, जिससे धुआं अंदर न आ सके. आप आपातकालीन सेवा और अग्नि सुरक्षा में प्रशिक्षित नहीं हैं, तो आग में फंसे लोगों को निर्देश न दें. ऐसा करके आप उन्हें भ्रमित या गुमराह कर सकते हैं, जिससे किसी की जान भी जा सकती है. खाना बनाने के पश्चात चूल्हे की आग को पूर्ण रूप से बुझा दें. हवा चलने से पहले ही सुबह में खाना पका लें, वहीं शाम को भी सबेरे खाना बना कर पूरी तरह राख को बुझा दें, खाना बनाने के समय बाल्टी में पानी भर कर अवश्य रखें. कहते हैं पदाधिकारी : झुग्गी झोपड़ी बनाने में इस्तेमाल सामान जलने वाला न हो. इन्हें बनाने में प्लास्टिक शीट, कपड़ा, तिरपाल आदि का इस्तेमाल न करते हुए लोहे के पोल, सीमेंट या टिन की चादरें (शीट), ईंट आदि का इस्तेमाल करें. झुग्गी के बाहर एवं अंदर मिट्टी का लेप करने से आग से बचाव किया जा सकता है. बिजली का अनधिकृत उपयोग न करें. अधिकृत रूप से बिजली के मीटर से कनेक्शन लें. नंगे तारों का उपयोग न कर प्लग-सॉकेट को इस्तेमाल करें. घर से बाहर जाते समय सभी बिजली के उपकरण बंद कर दें. अनधिकृत सिलिंडर का प्रयोग रोकें. अधिकृत एलपीजी सिलिंडर खरीदें. इस्तेमाल के बाद रेगुलेटर बंद कर दें. बीड़ी, सिगरेट आदि का प्रयोग न करें. जलती हुई बीड़ी, सिगरेट, माचिस तिली इधर-उधर न फेंके. आग लगने पर तुरंत सभी लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने में मदद करें. फायर सर्विस की गाड़ी आने के लिए रास्ता रखें. गाड़ी को रास्ता दें और आग तक पहुंचने में मदद करें. विनोद कुमार राम, अनुमंडल अग्निशमन पदाधिकारी सुपौल
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गर्मी आफत लेकर आयी : सैकड़ों परिवार हुए बेघर
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