– संस्कृति, धर्म और भाषा साधना के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिला गौरव सुपौल. जिले के लिए गर्व का क्षण त्रिलोकधाम गोसपुर, सुपौल के सुपुत्र मैथिली पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र को प्रतिष्ठित मिथिला विभूति सम्मान से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें संस्कृत भाषा, धर्म, संस्कृति एवं आध्यात्मिक अभिवृद्धि में उनके दीर्घकालिक योगदान के लिए प्रदान किया गया. यह सम्मान समारोह विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा द्वारा आयोजित 53वें विद्यापति स्मृति पर्व सह मिथिला विभूति सम्मान समारोह के दौरान एमएलएसएम कॉलेज, दरभंगा के सभागार में आयोजित हुआ. यह आयोजन हर वर्ष बाबा विद्यापति के अवसान दिवस (कार्तिक शुक्ल पक्ष धवल त्रयोदशी) के शुभ अवसर पर धूमधाम से संपन्न होता है. मिथिला के लाल को मिला बड़ा सम्मान इस वर्ष संस्थान के निर्णायक मंडल ने गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र को मिथिला विभूति सम्मान के लिए चुना. कार्यक्रम में उन्हें यह सम्मान कामेश्वर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मीनिवास पांडे, भू-राजस्व मंत्री संजय सरावगी एवं पूर्व कुलपति डॉ शशिनाथ झा के कर-कमलों द्वारा प्रदान किया गया. सम्मान समारोह में मिथिला और संस्कृत जगत के अनेक विद्वान उपस्थित रहे, जिनमें पूर्व कुलपति डॉ देवनारायण झा, वैदिक उपेंद्र झा, पूर्व कुलपति डॉ एसएम झा, डॉ वैद्यनाथ मिश्र बैजू, पंडित कमलाकांत झा, और डॉ प्रवीण कुमार झा शामिल थे. उनके अलावा सैकड़ों श्रद्धालु, छात्र एवं सांस्कृतिक प्रेमी भी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने. संस्कृति साधना के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र वर्षों से संस्कृत और मैथिली भाषा के प्रचार-प्रसार, वैदिक अध्ययन, तथा धार्मिक-सांस्कृतिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में कार्यरत हैं. उन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन किया है और युवा पीढ़ी में पारंपरिक मूल्यों के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके योगदान की सराहना करते हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने न केवल मिथिला की संस्कृति का मान बढ़ाया है, बल्कि अपनी विद्वता और तप से पूरी मैथिली परंपरा को गौरवान्वित किया है. बताया गया कि इससे पूर्व भी आचार्य मिश्र को संस्कृत गौरव पुरस्कार, मिथिला संस्कृति रत्न, एवं वैदिक साधना सम्मान जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है. परंतु मिथिला विभूति सम्मान को उनके अब तक के जीवन का सबसे बड़ा गौरव माना जा रहा है.
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