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शहर के सभी मार्गों पर अतिक्रमणकारियों का है कब्जा

नो इंट्री में भी भारी वाहनों का होता है आवागमन

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इधर-उधर वाहन खड़ा करने व फुटकर दुकानदारों की मनमानी से शहर में लगता है जाम – नो इंट्री में भी भारी वाहनों का होता है आवागमन सुपौल. शहर में जाम की समस्या विकराल रूप धारण करते जा रही है. जिसके कारण प्रतिदिन जाम की समस्या से शहरवासी एवं शहर आने वाले लोग काफी परेशान हैं. शहर में सबसे अधिक जाम महावीर चौक से स्टेशन चौक, थाना चौक से महावीर चौक, महावीर चौक से लोहिया नगर चौक पर लगती है. सुबह 08 बजे से जाम की समस्या शुरू हो जाती है. जिसके कारण थाना चौक, महावीर चौक, डाकघर के समीप, स्टेशन चौक, लोहिया नगर चौक, बस स्टैंड के समीप राहगीर कभी-कभी घंटों जाम में फंसे रहते हैं. हालांकि शहर के सभी चौक चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल की तैनाती की गई है. बावजूद इस जगह लगी जाम को छुड़ाना भी प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है. शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर अवैध रूप से ई-रिक्सा व ऑटो खड़ा करना, बाइक यत्र-तत्र लगाना एवं शहर के सभी मार्गों पर फुटकर दुकानदार के द्वारा सड़क किनारे अतिक्रमण कर दुकान लगाना जाम का मुख्य कारण है. वहीं यातायात नियमों का उल्लंघन कर नो इंट्री के समय भारी वाहनों का शहर में प्रवेश करना भी जाम की समस्या उत्पन्न करती है. अपेक्षित रूप से सड़क नहीं हुई चौड़ी किसी भी बाजार को सुंदर आकार देने के लिए सबसे पहले चौड़ी सड़कों की दरकार होती है. सुपौल शहर की सड़कें भी पहले से काफी बेहतर हुई है. लेकिन सड़कों का अब तक अपेक्षित रूप से चौड़ीकरण नहीं हो पाया. महावीर चौक के समीप स्टेशन रोड, थाना रोड, लोहिया नगर आदि स्थानों पर सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ने से अक्सर यहां जाम की समस्या उत्पन्न होती है. शहर के अधिकांश सड़क वर्तमान में महज 20 से 30 फीट चौड़ी नजर आता है. पैदल चलना भी है मुश्किल शहर की सबसे बड़ी समस्या सड़कों पर पसरा अतिक्रमण है. शहर के तकरीबन सभी सड़कों पर फुटपाथी दुकानदारों व ठेला वालों का कब्जा है. आलम यह है कि स्थायी दुकान के आगे फुटपाथी दुकानदार एवं उनके आगे फल व सब्जी के ठेलों की होती है. नतीजा है कि सड़कों पर वाहनों की बात तो दूर, आमलोगों का चलना भी मुश्किल बना हुआ है. प्रशासन द्वारा जाम हटाने के लिए नहीं की गयी ठोस पहल जानकारों की माने तो शहर में व्याप्त कुव्यवस्था के लिए प्रशासनिक इच्छा शक्ति की कमी है. प्रशासन की ओर से शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में कभी कोई ठोस पहल नहीं की गयी. जिससे आम शहरियों में असंतोष व्याप्त है. फुटपाथी दुकानदारों व ठेलों के लिए कोई स्थायी ठिकाना तय किये बिना समस्या के दूर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती. हर जगह फुटकर दुकानदारों का है कब्जा शहर में नगर परिषद के द्वारा गांधी मैदान एवं गांधी मैदान के बाहर पूर्वी हिस्से में पार्किंग की व्यवस्था की गयी है. लेकिन गांधी मैदान के अंदर एक हिस्सा में वाहन लगाया जाता है. जबकि बाहरी परिसर में फुटकर दुकानदारों के कब्जा रहने के कारण वाहन चालक चाहकर भी अपनी वाहन खड़ा नहीं करते हैं. नतीजा है कि वाहन चालकों को बाजार क्षेत्र में वाहन की पार्किंग करने के लिए कठिन समस्या से जूझना पड़ता है. मुख्य बाजार में आमतौर पर कहीं भी वाहन खड़ी करने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है. मजबूरन वाहन मालिक जब कहीं सड़क किनारे वाहन खड़ी करते हैं तो इन्हें प्रशासन से ज्यादा फुटपाथी अतिक्रमणकारियों की खरी-खोटी सुननी पड़ती है. कई बार तो नौबत मारपीट तक पहुंच जाती है. प्रशासन ने अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है. कहते हैं नप के मुख्य पार्षद गांधी मैदान के बाहर वाहन पार्किंग बनाया गया है. वाहन चालक अपनी वाहन भी लगाते हैं. कुछ दुकानदार शाम के समय अपनी दुकान लगाकर रोजी रोटी कमाते हैं. वैसे वह जगह वाहन पार्किंग के लिए ही है. राघवेंद्र झा राघव, मुख्य पार्षद, नगर परिषद सुपौल

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