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अब लौट जायेंगे 28 लाख रुपये

किसनपुर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यालय प्रधान की लापरवाही की वजह से वर्ष 2014-15 में ही मिलने वाली छात्रवृत्ति राशि का भुगतान छात्र-छात्राओं को नहीं हो सका. वही 17 माह बाद अब यह राशि पुन: सरकार के खाते में लौटायी जा रही है. सुपौल : जिले का शिक्षा विभाग अपनी कारगुजारियों की वजह […]

किसनपुर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यालय प्रधान की लापरवाही की वजह से वर्ष 2014-15 में ही मिलने वाली छात्रवृत्ति राशि का भुगतान छात्र-छात्राओं को नहीं हो सका. वही 17 माह बाद अब यह राशि पुन: सरकार के खाते में लौटायी जा रही है.
सुपौल : जिले का शिक्षा विभाग अपनी कारगुजारियों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहा है. बावजूद अधिकारी से लेकर कर्मी तक कोई सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. दरअसल अधिक से अधिक लोगों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं. जिनमें से छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि योजना भी शामिल हैं. दीगर बात है कि कभी आवंटन का अभाव तो कभी जमीनी स्तर पर अधिकारियों की मनमानी छात्रों के लिए योजना लाभ में रोड़ा साबित हो रहे हैं. ऐसा ही एक मामला किसनपुर प्रखंड के उच्च माध्यमिक विद्यालय किसनपुर का है.
जहां विद्यालय प्रधान की लापरवाही की वजह से वर्ष 2014-15 में ही मिलने वाली छात्रवृत्ति राशि का भुगतान छात्र-छात्राओं को नहीं हो सका. वही 17 माह बाद अब यह राशि पुन: सरकार के खाते में लौटायी जा रही है. दिलचस्प यह भी है कि योजना लाभ को लेकर गत वर्ष ही विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा डीएम से लेकर तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगायी थी. लेकिन पहल सिफर रही और नतीजा सामने है.
गत माह भी आलाधिकारियों से लगायी थी गुहार : छात्रवृत्ति योजना लाभ से वंचित छात्रों द्वारा मार्च 2016 में पहली बार डीएम के समक्ष गुहार लगायी गयी थी. वही कोई प्रतिफल सामने नहीं आने के बाद भी छात्रों द्वारा लगातार प्रयास किये जाते रहे. इस साल भी गत 27 जनवरी को अभ्यर्थियों द्वारा एक लिखित आवेदन दे कर योजना राशि भुगतान के लिए पहल की मांग की थी.
लेकिन मामले में पहल की जहमत किसी ने नहीं उठायी और छात्र योजना लाभ से वंचित रह गये. दिलचस्प है कि अधिकतर सरकारी योजनाओं में गरीब छात्रों की बात होती है. किसनपुर का यह इलाका, जहां से छात्र हैं, काफी गरीब इलाकों में शुमार है. ऐसे में योजना लाभ से वंचित छात्रों में रोष व्याप्त है. अब जबकि प्रधान राशि लौटाने की बात कर रहे हैं, छात्रों की मांग है कि दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करे. लेकिन छात्रों की इस मांग पर भी प्रशासन कितनी गंभीरता दिखायेगा, यह वक्त के गर्भ में है.
वित्तीय वर्ष 2014-15 में दसवीं के छात्र-छात्राओं के लिए सरकार द्वारा 28 लाख 56 हजार 600 रुपये का आवंटन किया गया था. आठ सितंबर 2015 को ही यह राशि विभाग द्वारा विद्यालय के बैंक खाते में हस्तांतरित कर दी गयी थी. लेकिन विद्यालय प्रधान की कारगुजारी का नतीजा रहा कि अब तक इस राशि का वितरण ही नहीं हुआ. विद्यालय प्रधान बुद्धदेव पासवान की मानें तो अब यह राशि पुन: सरकार के खाते में वापस भेजी जा रही है.
लेकिन इस बात का जवाब शायद किसी के पास नहीं है कि आखिर योजना लाभ से वंचित छात्रों का कुसुरवार कौन है. गौरतलब है कि मार्च 2016 में ही छात्रों ने योजना लाभ के बाबत जिलाधिकारी के जनता दरबार में गुहार भी लगायी थी. लेकिन इस पर भी कोई पहल नहीं की गयी. वही दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद संबंधित छात्र गत वर्ष ही विद्यालय से निकल चुके हैं.

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