छातापुर : नियम और कायदे को ताक पर रखकर कानून को मखौल बनाने वाली छातापुर थाना पुलिस का अपनी डफली अपना राग ही रहता है. यहां तक कि पुलिस महकमे के उच्चाधिकारियों के आदेश को भी थाना पुलिस ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आ रहा.
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दुष्कर्म पीड़िता को घटना के छह दिन बाद भेजा गया मेडिकल जांच के लिए
छातापुर : नियम और कायदे को ताक पर रखकर कानून को मखौल बनाने वाली छातापुर थाना पुलिस का अपनी डफली अपना राग ही रहता है. यहां तक कि पुलिस महकमे के उच्चाधिकारियों के आदेश को भी थाना पुलिस ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आ रहा. नतीजतन महिलाओं के साथ हिंसा या फिर कई संगीन मामलों […]
नतीजतन महिलाओं के साथ हिंसा या फिर कई संगीन मामलों के पीड़ितों को न्याय दिलाना दूर की कौड़ी साबित हो रही है. बीते 21 अगस्त को थाना क्षेत्र के प्रतापनगर में 15 वर्षीया किशोरी के साथ हुए दुष्कर्म की घटना के छह दिन बाद सोमवार को पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए सुपौल भेजा गया.
पुलिस द्वारा अनावश्यक रूप से किये गये विलंब के कारण मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि होना असंभव ही प्रतीत हो रहा है. जिस कारण पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद धूमिल होती दिख रही है.
वहीं मेडिकल जांच तथा 164 के बयान के लिए पुलिस की लेट लतीफी न्यायालय के अवमानना का मामला भी बनता है. पीड़ित पिता की मानें तो 21 अगस्त को दुष्कर्म की घटना के बाद पीड़िता अपने पिता के साथ 22 अगस्त को लिखित शिकायत लेकर थाना पर पहुंची थी.
थानाध्यक्ष के इंतजार में पूरे दिन का समय गुजर गया. रात में मोबाइल पर थानाध्यक्ष द्वारा सुबह आने को कहा गया. अगले दिन थाना पहुंचने पर पीड़ित पिता को न्याय की जगह थानाध्यक्ष की भद्दी-भद्दी गाली मिली और पुनः आवेदन देने को कहा गया.
मामला जब त्रिवेणीगंज एसडीपीओ के संज्ञान में आया तब मामले में प्राथमिकी दर्ज हो पायी. इससे पूर्व भी थाना क्षेत्र के हरिहरपुर में नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी. जिसमें पुलिस द्वारा विभिन्न बहाने बनाकर चार दिन बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी और छह दिन बाद मेडिकल जांच कराया गया.
नतीजा हुआ कि मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हो पायी. हैरानी तो तब हुई जब पुलिस के सहयोग से आरोपित पक्ष के लोगों ने पीड़िता पर बयान बदलने के लिए दबाव बनाया गया. लेकिन पीड़िता बयान बदलने के लिए राजी नहीं हुई और घटना के आठ दिन बाद 164 के बयान हेतु पीड़िता को न्यायालय में उपस्थित कराया गया.
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