प्रतिनिधि, महाराजगंज. मुहर्रम को लेकर मिट्टी लाने की रस्म मंगलवार रात शांतिपूर्वक पूरा हो गया. . ढोल-ताशे के साथ शहर के मोहन बाजार, कपिया निजामत, काजी बाजार, पुरानी बाजार, पसनौली, इन्दौली, बंगरा आदि इमामबाड़ों से जुड़े लोग मिट्टी लाने गये थे. खालिद हुसैन, सेराज अहमद, अफरोज अनवर, उम्मत मियां व शफीक माली ने बताया कि मुहर्रम की पांचवीं तारीख को मिट्टी लाने की रस्म की जाती है. मुहर्रम में ताजिया निर्माण के लिए मिट्टी लाने की रस्म काफी महत्वपूर्ण है. ताजियादारों द्वारा मिट्टी लाने का दस्तूर निभाया गया. मिट्टी लाने के रस्म को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे. इस संबंध में थानाध्यक्ष संजीत कुमार ने बताया कि मुहर्रम को लेकर विभिन्न मुहल्ले के ताजियादारों द्वारा मिट्टी लाने का रस्म शांतिपूर्ण पूरा किया गया. शहर के मोहन बाजार स्थित अजीजिया अशफ्रिया अखाड़ा के खलीफा शमशुल हक ने बताया कि विभिन्न इमामबाड़ा पर चांद रात से तो कहीं एक मुहर्रम से आसूरा तक फातिहा-नियाज किया जाता है. कहीं मुहर्रम के पांचवें दिन शाम से परंपरागत मिट्टी का जुलूस निकाला जाता है. तो कहीं मुहर्रम के सातवें दिन भी ताजियादारों द्वारा मिट्टी लाने का रस्म पूरा किया जाता है. अजीजिया असरफीया मदरसा के सचिव शमसुद्दीन अहमद ने बताया कि इराक में मजीद नामक बादशाह के जुल्म को मिटाने के लिए हुसैन ने कर्बला के मैदान में अपनी शहादत दी थी. मकबरों के प्रतिरूप होते हैं ताजिया : शहादत की याद में मुहर्रम पर ताजिया निकाला जाता है. यह ताजिया पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों का प्रतिरूप होते हैं. पांचवे दिन कर्बला से चौक पर लायी गयी मिट्टी प्रतिनिधि, हसनपुरा, प्रखंड क्षेत्र के सभी इलाकों के सभी चौकों पर चिराग रौशन करने का सिलसिला शुरू है.पांचवें दिन कर्बला से मिट्टी लाकर चौक पर रखी गयी. कारीगरों द्वारा ताजिया, सीपड़ बनाने का कार्य किया जा रहा है. वहीं मौलाना नौशाद अली ने बताया कि इस्लामी वर्ष यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना मुहर्रम है.
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