प्रतिनिधि, सीवान. मंगलवार को जिला यक्ष्मा केंद्र में सिविल सर्जन डॉ.श्रीनिवास प्रसाद ने मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीजों के लिए बीपाल-एम रेजिमेन की शुरुआत की. इस अवसर पर एक मरीज को नयी दवा देकर इस उपचार पद्धति का शुभारंभ किया गया.इस नयी दवा पद्धति से एमडीआर टीबी का इलाज अब केवल 6 महीने में संभव होगा, जो पहले 09-24 महीनों तक चलता था. .स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया है, ताकि मरीजों को सही उपचार और देखभाल मिल सके. सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि बीपाल-एम रेजिमेन टीबी उन्मूलन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. इससे न केवल इलाज की अवधि कम होगी, बल्कि मरीजों को कम दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने मरीजों से नियमित दवा लेने और डॉक्टरों की सलाह मानने की अपील की.सीवान में 2025 में 93 पंचायतों को टीबी मुक्त किया गया.स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस नई दवा से मरीजों का इलाज आसान होगा और जिला टीबी मुक्त बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा.यह पहल भारत सरकार के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को गति देगी. 14 साल से कम,गर्भवती एवं धात्री महिला को पुरानी तरह की दी जायेगी दवा सीडीओ डॉ अशोक कुमार ने बताया कि टीबी एमडीआर की नई दवा बीपाल-एम रेजिमेन 14 साल से कम,गर्भवती एवं धात्री महिला का पुरानी तरह की ही दवा से उपचार किया जाएगा.उन्होंने बताया कि नई दवा बीपाल-एम रेजिमेन में चार दवाएं—बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड, और मोक्सीफ्लोक्सासिन—शामिल हैं, जो टीबी के बैक्टीरिया को तेजी से खत्म करती हैं. इस पद्धति से मरीजों को रोज़ाना केवल 3-4 टैबलेट्स लेनी होंगी, जबकि पहले 20 दवाएं लेनी पड़ती थीं. यह दवा सरकारी अस्पतालों और डाट्स सेंटरों में मुफ्त उपलब्ध होगी, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को भी लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे नजदीकी सरकारी अस्पताल या निक्षय पोर्टल के माध्यम से अधिक जानकारी प्राप्त करें और समय पर अपनी जांच कराएं.इस अवसर पर मेडिकल ऑफिसर डॉ सुरेंद्र प्रसाद,डीपीसी दीपक कुमार,शैलेंदु कुमार,रामसागर प्रसाद सहित कई स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे.
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