सीवान: नगर परिषद सिवान के 82 दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मियों का सेवा विस्तार नहीं किये जाने को लेकर गुरुवार को सफाई कर्मियों ने बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ की अगुवाई में विरोध मार्च निकाला और जेपी चौक पर नगर परिषद की चेयरमैन सेंपी देवी, वार्ड पार्षद राज कुमार बांसफोर, पूर्व पार्षद सोनू सिंह और सन्नी गुप्ता का पुतला दहन किया. कर्मियों का कहना है कि पहले सशक्त स्थायी समिति की बैठक में सेवा विस्तार का निर्णय लिया गया था और प्रस्तावित निर्णय को प्रोसीडिंग में दर्ज भी कर लिया गया था. लेकिन बाद में कुछ प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर चेयरमैन ने उस निर्णय को रद्द कर दिया.कर्मियों का आरोप है कि इस पूरे मामले में पूर्व पार्षद सोनू सिंह और सन्नी गुप्ता की अहम भूमिका रही जो लगातार कर्मियों का मानसिक शोषण कर रहे हैं विरोध जताने के लिए सभी सफाई कर्मियों ने सुबह से सफाई कार्य बंद कर दिया. पूरे शहर में कचरा नहीं उठाया गया .विरोध मार्च और पुतला दहन के बाद कर्मी नगर परिषद कार्यालय पहुंचे, जहां कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव से वार्ता की गई. कार्यपालक पदाधिकारी ने सभी को भरोसा दिलाया कि उनका बकाया वेतन जल्द ही दिया जाएगा और पुराने ढंग से काम करने की प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी.उन्होंने यह भी कहा कि कर्मियों की सेवा विस्तार को लेकर फिर से विचार किया जाएगा. यूनियन के राज्य सचिव अमित कुमार ने कहा कि चेयरमैन अब वह केवल रबर स्टांप बनकर रह गई हैं और हर निर्णय किसी के इशारे पर लेती हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रोसीडिंग को जबरन मंगवाकर उसमें लिखा गया निर्णय खुद ही काट दिया गया, जो कि पूरी तरह से एकतरफा और अन्यायपूर्ण है.कार्यपालक पदाधिकारी के आश्वासन के बाद सभी कर्मी दोपहर बाद से काम पर लौट गए हैं.कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव ने कहा कि दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मियों को कार्य से नहीं निकाला गया है इस संबंध में कार्यालय से कोई पत्र निर्गत नहीं हुआ है.सभी कर्मियों से पहले की तरह कार्य लिया जा रहा है.उन्हें आश्वस्त किया गया है कि उनके हित में उचित निर्णय लिया जाएगा. सभी कर्मी कार्य पर लौट चुके हैं और शहर में सफाई कार्य फिर से शुरू हो गया है.चेयरमैन सेंपी देवी ने कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के सेवा विस्तार से जुड़ा कोई निर्णय बैठक में पारित नहीं हुआ था, लेकिन कार्यालय के कुछ कर्मियों द्वारा प्रोसीडिंग में भ्रम फैलाने वाला गलत निर्णय लिख दिया गया, जिसे मैंने तत्काल काट दिया.मुझ पर गलत निर्णय लेने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका मैंने स्पष्ट विरोध किया.मेरा सदैव प्रयास रहता है कि नगर परिषद में कोई भी निर्णय नियमों और पारदर्शिता के दायरे में ही लिया जाए.
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