प्रतिनिधि, सीवान. जिले में सरकारी दर पर किसानों से धान खरीदने और उसके एवज में राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) को चावल लौटाने के मामले में सहकारिता विभाग एक बार फिर पिछड़ गया है. तय समय सीमा खत्म होने के बाद भी जिले की कई पैक्स पर करीब 16 करोड़ रुपये का चावल बकाया रह गया है. सरकार ने चावल आपूर्ति की समय सीमा 10 अगस्त तक बढ़ाकर बकायेदार पैक्सों को राहत दी थी. लेकिन इसके बावजूद कई पैक्सों ने समय पर चावल नहीं लौटाया. अंतिम समय होने के कारण यह आकड़ा घट बढ़ भी सकता है.डीएम डॉ. आदित्य प्रकाश के निर्देश पर जिला सहकारिता पदाधिकारी (डीसीओ) सौरभ कुमार ने बकायेदार पैक्सों पर कार्रवाई तेज कर दी है. पहले जीरादेई प्रखंड के नरेंद्रपुर और बड़हरिया प्रखंड के औराई पैक्स पर धान गबन का मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है. अब समय सीमा खत्म होने के बाद तीन और पैक्स पर भी एफआईआर दर्ज करने की तैयारी है. डीसीओ ने बताया कि बसंतपुर प्रखंड के बसंतपुर पैक्स, पचरूखी प्रखंड के पचरूखी पैक्स और आंदर प्रखंड के जयजोर पैक्स में चावल का बकाया अधिक मिला है.जांच में गोदाम में धान नहीं मिलने पर संबंधित प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया गया है.खरीफ विपणन मौसम में जिले के किसानों से 257 पैक्स समितियों के जरिए 97,337 टन धान की खरीद हुई था. इसके बदले में 66,643 टन चावल राज्य खाद्य निगम को लौटाना था. 10 अगस्त तक सिर्फ 61,916 टन चावल ही जमा हो सका.यानी 4727 टन चावल अब भी बकाया है, जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है. इधर खबर लिखे जाने तक चावल देने का अंतिम तिथि होने के कारण कई केद्रों पर ट्रक चावल सहित खड़े थे. जिनके खाली करने की प्रक्रिया चल रही थी. चावल आपूर्ति की रफ्तार धीमी रहने पर डीसीओ ने संबंधित प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों व पैक्स अध्यक्ष और प्रबंधक को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. चावल वसूली के लिए छुट्टियां रद्द कर दी गईं और पैक्स प्रबंधकों पर दबाव बनाया गया. इसके बाद भी कई समितियों ने चावल जमा नहीं किया. डीसीओ ने कहा कि बकाया चावल की वसूली को लेकर अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.
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